'बढ़ेगा प्रदेश तो बनेगा देश' सूत्र वाक्य के साथ सोमवार को लखनऊ में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित फोरम में विधान सभा चुनाव का एजेंडा करीब-करीब तय हो गया। कार्यक्रम में भाजपा, सपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने शिरकत की और साफ कर दिया कि प्रदेश के विधान सभा चुनाव काफी गहमागहमी भरे रहने वाले हैं। निस्संदेह कैराना और जवाहरबाग जैसे मुद्दे रहेंगे, लेकिन विकास की बात भी सभी दलों के शीर्ष एजेंडे पर होगी। सत्ताधारी समाजवादी पार्टी मानती है कि उसने चुनाव से पहले जनता से जो वादे किए थे, उन्हें पार्टी ने तीन साल में ही पूरा कर दिया था। पार्टी मान रही है कि इसके अलावा भी कई अन्य बड़े काम किए गए हैं। लखनऊ में मेट्रो के निर्माण के साथ ही प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों में भी मेट्रो ले जाने की तैयारी है। लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे भी अक्टूबर तक बनकर तैयार होने वाला है, जिसके बाद प्रदेश की राजधानी से देश की राजधानी के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे प्रदेश के विकास की गति तेज होगी। बिजली को लेकर भी राज्य सरकार के अपने दावे हैं। इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि मेट्रो और एक्सप्रेस वे का निर्माण उल्लेखनीय कार्य है, लेकिन इतने बड़े प्रदेश की जनता के लिए यह उपलब्धियां ही काफी नहीं। बिजली, सिंचाई और कानून व्यवस्था ऐसे मुद्दे हैं, जो सपा सरकार को सदा असहज करते रहे हैं। इस बार भी इनसे पार पाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। भारतीय जनता पार्टी के भी अपने दावे हैं। वह विकास की बात तो करती है पर यह कहने में भी गुरेज नहीं करती कि यदि समाज के किसी भी वर्ग के लोगों के साथ अन्याय होगा तो पार्टी इसका विरोध करेगी। फिर चाहे कोई इसे सांप्रदायिकता कहे या कुछ और। भाजपा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों और सुशासन के सहारे प्रदेश में सत्ता के अवसर देखती है। इसमें संदेह नहीं कि मोदी सरकार ने कई उल्लेखनीय काम किए हैं पर यह देखना बाकी है कि जनता प्रदेश में इन्हें कितना महत्व देती है। कांग्रेस के नेताओं ने भी साफ कर दिया कि उनकी पार्टी कुछ चौंकाने वाले फैसले कर सबको हैरान कर सकती है। साफ है कि आगामी चुनाव में विकास की बात ही चुनावी एजेंडा होगा और यही सभी के हित में है।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]