----मुख्यमंत्री ने उन लोगों को कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है जो सत्ता को सेवा का माध्यम नहीं मानते।----भाजपा विधायक उल्टी दिशा से कारों का अपना काफिला लेकर जाना चाहते थे। होमगार्ड ने रोका तो वह नाराज हो गए। किसी सुरक्षाकर्मी द्वारा रोका जाना उन्हें गवारा नहीं हुआ। जब वह नाराज हुए तो उनके समर्थक भला क्यों मानने लगे। आरोप है कि उन्होंने होमगार्ड के साथ अभद्रता कर दी। दिन भर बेहद व्यस्त रहने वाली राजधानी लखनऊ की जिस सड़क पर यह घटना हुई, मेट्रो निर्माण कार्य के कारण वह पहले ही आधी हो चुकी है और उसकी एक ही साइड से दोनों ओर का ट्रैफिक चलता है। भाजपा विधायक यह समझने को तैयार नहीं थे कि उनके वाहनों के कारण सड़क पर जाम लग रहा है और इससे उन आम लोगों को परेशानी हो रही है जिनके वोट की बदौलत वह वीआइपी बने हैं। उन्हें यह बात अपनी हेठी लग रही थी कि जब सरकार उनकी पार्टी की है तो भला कोई सुरक्षाकर्मी उन्हें कैसे रोक सकता है। हालांकि अगले ही दिन सरकार के मुखिया ने उनसे मुलाकात नहीं की। विधायक घंटों मुख्यमंत्री कार्यालय में बैठे रहे लेकिन, उन्हें मिलने का समय नहीं मिला। ऐसा करके मुख्यमंत्री ने उन लोगों को कड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है जो सत्ता को सेवा का माध्यम नहीं मानते।

मुश्किल यह है कि जनप्रतिनिधि आमतौर पर समाज का अनुशासन मानते नहीं दिख रहे। कभी महिलाओं के सम्मान पर कोई टिप्पणी कर दी जाती है तो कभी कानून ताख पर रख दिया जाता है। लगभग रोज ही कोई न कोई भड़काऊ बयान कहीं से आ जाता है। सोशल मीडिया के जमाने में वह बयान पलक झपकते प्रचारित हो जाता है और तब अशांति फैलती है। यह प्रवृत्ति घातक है। नए दौर के हिसाब से राजनीति को बदलना होगा। यह बदलाव केवल ट्विटर और फेसबुक पर खुद की सक्रियता बढ़ा देने से ही नहीं आने वाला। नेताओं को समझना होगा कि वोटर बदला है, उसकी सोच आधुनिक हुई है और वह राजनीति को भी इसी अनुरूप देखना चाहता है। स्मार्ट, उदार और कानून को आदर करने वाली। गलतबयानी करने और वीआइपी कल्चर से न उबर पाने की आदत यूं तो सभी दलों में है लेकिन, इसमें सुधार सुनिश्चित करके की जिम्मेदारी प्रचंड बहुमत से जीती भाजपा पर अधिक है।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]