विगत कुछ समय से चंडीगढ़ में भी अपराधी कानून व्यवस्था को चुनौती देने लगे हैं। गत दिवस ही शहर में हुई वारदातों ने पुलिस व प्रशासन की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

पंजाब और हरियाणा की राजधानी होने और अपनी चुस्त कानून व्यवस्था के कारण चंडीगढ़ को हमेशा एक आदर्श केंद्र शासित प्रदेश माना जाता रहा है। हालात यह हैं कि जो वाहन चालक पंजाब अथवा हरियाणा की सीमा में यातायात नियमों का पालन करना कतई जरूरी नहीं समझते, वे भी चंडीगढ़ की सीमा में प्रवेश करते ही सीट बेल्ट बांध लेते हैं। दुपहिया वाहन चलाने वाले भी हेलमेट पहन कर ही चंडीगढ़ की सड़कों पर वाहन दौड़ाते दिखाई देते हैं। पंजाब में तो यह उदाहरण दिया जाता है कि जब चंडीगढ़ में कानून और यातायात व्यवस्था इतनी सुचारू रह सकती है तो फिर ऐसी स्थिति यहां क्यों नहीं है। लेकिन विगत कुछ समय से चंडीगढ़ में भी अपराधी कानून व्यवस्था को चुनौती देने लगे हैं। गत दिवस ही जहां सेक्टर 38 स्थित गुरुद्वारा संतसर साहिब के बाहर चार गैंगस्टरों ने होशियारपुर के गांव खुरदा के सरपंच की दिनदहाड़े गोलियां बरसाकर हत्या कर दी, वहीं सेक्टर 34 में एक इनोवा कार चालक ने मामूली बहस के बाद बाइक पर सवार तीन युवकों को रौंद डाला, जिसमें दो की मौत हो गई। ये हत्याएं, खासकर सरपंच की हत्या जिस प्रकार से लोगों के सामने ही दिनदहाड़े की गई वह न सिर्फ भयावह है बल्कि चंडीगढ़ पुलिस और प्रशासन के लिए बहुत बड़ी चुनौती भी। जिस शहर में लोग बिना हेलमेट के बाइक चलाने से भी कतराते हैं, वहां ऐसी घटनाएं इस आशंका को बल देती हैं कि कहीं चंडीगढ़ की कानून व्यवस्था का हाल भी पंजाब और हरियाणा की तरह तो नहीं होता जा रहा है। ऐसी आशंका को इसलिए भी पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि विगत माह ही हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी के भतीजे की कार से रौंदकर हत्या कर दी गई थी और इस मामले में अभी तक मुख्य आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। चंडीगढ़ में अचानक इस प्रकार से वारदातों का बढऩा चिंताजनक है। प्रशासन और पुलिस को चाहिए कि वे समय रहते इसके कारणों का पता लगाएं कि आखिर चूक कहां हो रही है, जिससे अपराधियों को यहां सक्रिय होने का अवसर मिल रहा है। यह दो राज्यों की राजधानी होने के कारण पहले ही बेहद संवेदनशील है, इसलिए अतिशीघ्र कमियों को दूर कर कानून व्यवस्था को चाकचौबंद करना होगा ताकि वारदात तो दूर, कोई यहां कानून तोडऩे की सोच भी न सके।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]