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गोदामों में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे तो वर्क कल्चर बढ़ेगा और अधिकारी भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाएंगे
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राज्य में लोगों को एक तरफ सरकारी राशन पिछले तीन माह से नहीं मिल पाया है तो दूसरी ओर इसकी कालाबाजारी में विगत दिवस एक राशन डिपो मालिक के कब्जे से अढ़ाई सौ बोरी आटा व चावल के साथ पकड़े जाने से साबित हो गया है कि गरीबों का यह राशन का सद्पयोग नहीं हो रहा है। राज्य में राशन वितरण प्रणाली में कालाबाजारी को रोकने के लिए बेशक राशन के मुख्य गोदामों में इंटरनेट प्रोटोकॉल कैमरे लगाए जाने का फैसला तो लिया, लेकिन जमीनी स्तर पर यह कहीं नहीं दिखते। जिससे कालाबाजारी करने वालों पर रोक नहीं लग पा रही है।
विडंबना यह है कि राज्य में एक करोड़ के करीब उपभोक्ता है, जिन्हें दिसंबर से फरवरी में न तो आटा, चावल और न ही चीनी मिल पाई है। महंगाई के इस दौर में बाजार में आटा तीस से बत्तीस रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। लेकिन लोगों के मुंह से छीना गया यह निवाला अब कालाबाजारी में बेचे जाने से जाहिर हो गया है कि कुछ डीलर और खाद्य जनापूर्ति एवं उपभोक्ता विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा काफी फलफूल रहा है। उपभोक्ताओं को राशन न मिलने का एक बड़ा कारण शहर में छोटी गाडिय़ों से आपूर्ति करवाने वाले ठेकेदारों को तीन साल से विभाग ने किराया नहीं दिया है। इससे पहले विभाग ठेकेदारों को पैसा उपलब्ध करवाता रहा है। बेशक विभाग ने डीलरों को डिपो तक स्वयं राशन लोडिंग और अनलोडिंग करने को कहा तो है लेकिन कुछ डीलर ही फूड कॉरपोरेशन से स्वयं राशन उठा रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं को राशन नहीं न मिलने को लेकर कुछ संगठनों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर चेताने की भी कोशिश की लेकिन समस्या जस की तस है। विभाग के निदेशक को चाहिए कि वह सभी स्टोरों की फिजिकल वेरीफिकेशन कर इस बात का पता लगाएंगे कि गोदामों में कितना राशन आया और कितना आवंटन किया गया। इससे राशन की आपूर्ति में पारदर्शिता आएगी और कालाबाजारी भी रुकेगी। अक्सर गोदामों पर ताले पड़े रहते हैं। अगर गोदामों में कैमरे लगे होंगे तो इससे वर्क कल्चर बढ़ेगा और अधिकारी भी अपनी जिम्मेवारी को समझेंगे। इससे गोदामों में भी समय पर राशन पहुंचेगा और लोगों को भी राशन के लिए दरबदर भटकना नहीं पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि डिपो में राशन की सप्लाई को शीघ्र सुनिश्चित बनाएं।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]