पुरातन समय में हरियाणा की सभ्यता काफी विकसित थी। पुरातत्व महत्व के केंद्रों में खोदाई से इस तथ्य की पुष्टि भी हो चुकी है कि यहां की सभ्यताएं विश्व की सबसे पुरातन व महानतम सभ्यताओं में से एक रही हैं। हिसार की राखी गढ़ी और फतेहाबाद के कुणाल की सभ्यता सबसे मोहनजोदड़ो और हड़प्पाकालीन सभ्यता से भी पुरानी हैं। वहीं भिवानी के मिताथल में सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष मिले हैं। खोदाई के दौरान मिले अवशेषों के आधार पर विशेषज्ञों ने स्वीकार किया कि आज से छह हजार साल पहले भी यहां की सभ्यता काफी विकसित थी और कई मायनों में आज से भी आगे थी। देश-विदेश के छात्र इन केंद्रों पर निरंतर शोध कर रहे हैं। उनके लिए इतिहास को समझने का महत्वपूर्ण अवसर हैं। यहां मिले अवशेष इतिहास की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में आवश्यक है कि इतिहास की इन कड़ियों को संजोया जाए। उन्हें इस तरह से परोसा जाए ताकि इतिहास के विद्यार्थियों के लिए यह शोध का प्रमुख केंद्र बन जाए। हरियाणा सरकार ने राखी गढ़ी व कुनाल में अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय खोलने की तैयारी सरकार कर रही है। मिताथल के अवशेष झज्जर के गुरुकुल में संजोए गए हैं। साथ ही सरकार का प्रयास है कि वह सरस्वती व उसकी सहायक नदियों की धारा को फिर से खोज निकाले। आदिबद्री से यह कार्य शुरू भी हो चुका है। अगर ये प्रयास सिरे चढ़ते हैं तो प्रदेश कृषि व शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के साथ-साथ सभ्यता व संस्कृति दर्शन के प्रमुख केंद्र के तौर पर विकसित हो पाएगा। यह प्रयास फिलहाल शुरुआती स्तर पर हैं पर इस विषय पर निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। इतनी पुरातन सभ्यता के साक्षात दर्शन देशभर में और कहीं नहीं होते। इसके अलावा प्रदेश में कई अन्य ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व के केंद्र हैं। इससे प्रदेश में पर्यटन व रोजगार के भी तमाम अवसर पैदा होंगे। यमुनानगर से लेकर कुरुक्षेत्र व हिसार के अग्रोहा में इसकी तमाम संभावनाएं दिखती भी हैं। आवश्यकता एकीकृत प्रयास करने की है। ऐसे पुरातत्व व पौराणिक महत्व के स्थलों को एक कड़ी से जोड़कर उनके समेकित विकास के लिए योजना बनाने की आवश्यकता है। इन सभ्यताओं की खोज प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी दे सकती है। यह प्रदेश के हित में होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]