अनेक लोग हैं जो समय प्रबंधन के महत्व को समझते नहीं हैं। समय प्रबंधन को समझने वाले लोग बड़े चुस्त, फुर्तीले और दृढ़ निश्चयी होते हैं। ऐसे लोग एक काम को पूरा करके तत्काल दूसरा कार्य हाथ में ले लेते हैं और उसे पूरा करने के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं। भविष्य ऐसे ही लोगों का होता है। यदि आप कार्य को तत्काल संपन्न करते हैं तो आप अनेक उलझनों से बच जाते हैं। काम को तुरत-फुरत संपन्न कर डालने की आदत से हमारी शक्तियां और योग्यताएं संगठित रहती हैं। उनमें कभी भी बिखराव की संभावना नहीं होती। कैलीफोर्निया के मनोवैज्ञानिक लेनोरा ने इस विषय पर शोध किया। उनका मानना था कि काम को टाल देने की आदत से आगे चलकर कई जटिल समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। लेनोरा का कहना था कि अक्सर लोग काम को शुरू करने से पहले ही डर जाते हैं। उन्हें यह शंका हरदम घेरे रहती है कि वे यह काम पूरा कर पाएंगे कि नहीं। ऐसे लोग हरदम काम का बोझ लादे रहते हैं। लेनोरा का निष्कर्ष था कि संबंधित व्यक्ति से पूछा जाना चाहिए कि वह किस तरह के काम को टालता है। अगर ऐसा किया गया तो उस व्यक्ति को समय पर कार्य करने के लिए प्रवृत्त किया जा सकता है। किसी भी काम को नियत समयावधि में पूर्ण करने के लिए शुरू-शुरू में आलस्य आता है। यह बहुत स्वाभाविक है। ऐसा इसलिए, क्योंकि आप अपनी एक पुरानी बुरी आदत बदल रहे होते हैं। मगर काम शुरू कर दें तो यह आलस्य धीरे-धीरे दूर होता जाता है।
यदि कई काम हैं तो उनकी प्राथमिकता के आधार पर एक सूची बना लें। कम समय लगने वाले काम को सबसे पहले निपटा लें। जो काम अन्य सभी से भारी है उसके लिए एक खास समय तय करें। कामों को क्रमबद्ध और व्यवस्थित ढंग से किया जाए तो चौबीस घंटे कम नहीं होते। हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि जीवन में सफल लोगों ने इन चौबीस घंटों का सही-सही उपयोग कैसे किया। एक बार यदि आपने समय प्रबंधन की आदत डाल ली तो छोटा हो या बड़ा हर काम तय समय-सीमा में पूरा हो जाएगा और दूसरा दिन आपके नए कामों के लिए पूरी तरह से खाली रहेगा। जब आप किसी काम को पूरा कर लें तो खुद ही संतोष करें। वस्तुत: टालमटोल की आदत आपके जीवन का बहुत समय बर्बाद कर देती है। इस आदत के परिणामस्वरूप हमारी आंतरिक शक्ति धीरे-धीरे क्षीण होती जाती है।
[ नवीन जैन ]