आई CONFESS
गलत आदतों में सुधार भैया, मैं आपसे कन्फेस करना चाहता हूं। जॉब के सिलसिले में मैं बनारस से नोएडा चला आया। यहां मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ कमरा शेयर करता हूं। मेरे दोस्त हर व$क्त मुझे अपना सामान अपनी जगह पर न रखने के लिए टोकते रहते हैं। दरअसल,
गलत आदतों में सुधार
भैया, मैं आपसे कन्फेस करना चाहता हूं। जॉब के सिलसिले में मैं बनारस से नोएडा चला आया। यहां मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ कमरा शेयर करता हूं। मेरे दोस्त हर व$क्त मुझे अपना सामान अपनी जगह पर न रखने के लिए टोकते रहते हैं। दरअसल, जब भी मैं किसी सामान का इस्तेमाल करता हूं, तो उसे सही जगह पर नहीं रखता हूं। फिर उसी सामान की किसी और को जरूरत पड़ती है, तो उसे बहुत ढंूढना पड़ता है। सामान नहीं मिलने पर सब मेरी ओर देखते हैं और मुझमें दोष निकालते हैं। वे कहते हैं कि क्या तुम्हें घर पर तुम्हारी इस गंदी आदत पर कोई टोकता नहीं था? तुम हमेशा ऑफिस बैग बेड पर रख देते हो और बेल्ट, कंघी, शर्ट आदि को जहां जी चाहा, वहीं रख दिया। तुम्हारी वजह से घर बिखरा हुआ सा दिखाई पड़ता है। बारिश के दिनों में तो तुम्हारे गीले तौलिए से बदबू आने लगती है। अब मुझे बेहद पछतावा होता है कि काश मैंने आपकी बातों पर ध्यान दिया होता। आप मुझे हमेशा सामान को इधर-उधर फैला कर रखने के लिए तेज़ आवाज़ में बोला करते थे। कभी-कभार आप मुझे प्यार से समझाया भी करते थे। पर मैं आपकी बातों को फालतू समझकर एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल दिया करता था। मुझे ये सारी बातें बेमानी लगती थीं, पर आज इनकी इंपॉर्टेंस का पता चला। काश मैंने आपकी बातें मानकर बुरी आदतें सुधार ली होतीं, तो दोस्तों से इतना सुनना नहीं पड़ता!
रचित
मिस माई मॉम मेड फूड
मॉम, मैं यहां आपको बहुत मिस करती हूं। आपके द्वारा तैयार लज़ीज़ नाश्ते की यहां मुझे बहुत याद आती है। गोभी, पनीर के स्टफ्ड परांठे, रायता और मीठी खीर। ओह! इसका वर्णन करते हुए भी मुंह में पानी आ रहा है। अब जब मैं मैनेजमेंट की पढ़ाई के सिलसिले में दिल्ली में रह रही हूं, तो तुम्हारे हाथ के बने खाने को बहुत अधिक मिस कर रही हूं। यहां मैंने ज्य़ादातर ईटिंग पॉइंट्स ट्राई कर लिए हैं। लेकिन उनमें वह स्वाद कहां? ज़रूर आपके हाथों में जादू है! आप मैगज़ींस, फूड वेबसाइट्स और सोशल साइट्स से ट्रेडिशनल के
साथ-साथ कुछ अलग हेल्दी, लेकिन स्वादिष्टï नाश्ता तैयार करने की विधि सीखतीं और उसे फिर ट्राई करतीं। उसे पहले आप चख कर देखतीं! यदि आपको वह अच्छा लगता, तभी उसे मेरे सामने परोसतीं। मुझे आप पर कभी-कभी गुस्सा भी आ जाता, तो मैं कहती कि आप रोज़ इतनी मेहनत क्यों करती हैं? आप मेरी बातों को अनसुना कर अपने काम में लगी रहतीं। एकाध बार आपने कहा भी था कि घर से बाहर दूसरे शहरों में रहना पड़ेगा, तभी तुम्हें होम मेड फूड की $कीमत पता चलेगी। आपकी कही बात आज सच साबित हो रही है।
कोमल