Women's Day 2024: कार्ड बांटने से लेकर और भी बहुत कुछ, इन 5 जगहों पर First Periods को लेकर हैं अजीबोगरीब रिवाज
दुनियाभर में हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद महिला सशक्तिकरण से जुड़ा है। इस बीच आप महिलाओं से संबंधित कई विषय देख-पढ़ रहे होंगे ऐसे में आइए आपको बताते हैं भारत की पांच ऐसी जगह जहां लोग पीरियड्स को फेस्टिवल के तौर पर मनाते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। Women's Day 2024: हर साल 8 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद एक ऐसे समाज को बढ़ावा देना है, जहां महिलाएं खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर सकें। ऐसे में आइए आज बात करें, महिलाओं से जुड़े एक खास विषय, पीरियड्स के बारे में।
पीरियड्स या मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से हार्मोनल बदलाव होते हैं। भले ही, बदलते समय के साथ समाज में आज इस मुद्दे पर खुलकर बात की जाने लगी है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में कुछ जगहें ऐसी हैं, जहां पहली बार होने वाले पीरियड्स को त्योहार की तरह मनाया जाता है। आइए इस आर्टिकल में आपको बताते हैं इससे जुड़े अजीबोगरीब रिवाजों के बारे में।
असम
जब किसी लड़की को पहली बार पीरीयड्स होते हैं, तो असम में इसे लेकर 'तुलोनिया बिया' नाम का फंक्शन किया जाता है। ऐसे में लड़की को एक कमरे में ही रहना होता है, और कई कामों को करने की मनाही होती है। इस दौरान यहां लोग सूर्य, चंद्रमा और सितारों को देखना भी शुभ नहीं मानते हैं। तुलोनिया बिया के तहत लड़की को सात दिन एक अलग कमरे में रहना होता है। सात दिन पूरे हो जाने के बाद लड़की को तैयार किया जाता है और उसकी शादी केले के पौधे से कराई जाती है। इस दौरान रखे फंक्शन में रिश्तेदार भी शिरकत करते हैं और लड़की को गिफ्ट्स आदि देते हैं।
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ओडिशा
ओडिशा के कुछ हिस्सों में भी पीरियड्स से जुड़ा तीन दिन का फंक्शन मनाया जाता है, जिसे 'राजा प्रभा' कहते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि इन तीन दिन के दौरान धरती मां को पीरियड्स होते हैं। ऐसे में लड़कियां किसी कामकाज में हिस्सा नहीं लेती हैं और नए कपड़े पहन कर जश्न मनाती हैं। इस बीच पीरियड्स के चौथे दिन यानी राजा प्रभा के खत्म होने के अगले दिन लड़कियों को स्नान करना होता है।
आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश की कुछ जगहों में भी लड़कियों में पहली बार होने वाले पीरियड्स को लेकर 'पेडमनिषी पंडगा' नाम का समारोह आयोजित किया जाता है। यह फंक्शन पीरियड्स के पहले, पांचवे और आखिरी दिन होता है। पहले दिन मंगल स्नान आयोजित होता है, जहां मां अपनी बेटी को नहलाती है। ऐसे में अगर किसी लड़की की मां नहीं होती है, तो उसे पांच महिलाएं मिल कर स्नान करवाती हैं। पीरियड्स के समय यहां भी लड़की को कहीं आने जाने की मनाही होती है। इस समारोह के आखिर दिन लड़कियों को चंदन का लेप लगाना होता है, वहीं लड़की के चाचा को उसे गिफ्ट में साड़ी या ज्वेलरी की परंपरा भी है।
तमिलनाडु
तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में पहले पीरियड्स पर मंजल निरातु विज़ा नामक त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में सभी रिश्तेदारों को कार्ड बांटकर बुलावा दिया जाता है। रीति-रिवाजों में लड़की के चाचा को नारियल, नीम और आम के पत्तों से झोपड़ी बननी होती है। इस बीच लड़की को हल्दी के पानी से स्नान करवाया जाता है, और उसे एक प्रकार की झोपड़ी में रहना होता है। यहां उसे कई स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं। साथ ही, स्नान के बाद सिल्क की साड़ी और गहने भी पहनाए जाते हैं।
कर्नाटक
पहली बार होने वाले पीरियड्स को लकर कर्नाटक के कुछ इलाकों में भी एक अजब परंपरा देखने को मिलती है। इसे 'ऋतुशुद्धि' या 'ऋतु कला संस्कार' कहते हैं। इस दौरान लड़कियों को साड़ी पहननी होती है, जिससे यह झलक देखने को मिलती है कि लड़की अब यौवन अवस्था में प्रवेश कर चुकी है। ऋतुशुद्धि के दौरान लड़कियों को मासिक धर्म से जुड़ी चीजों के बारे में घर की बड़ी महिलाएं विस्तार से जानकारी देती हैं।
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