भारत के सुपरबग पर हर दवाई फेल, नाम रखा 'न्यू डेली मेटालो-बीटा-लेक्टामेस'
सुपरबग एक तरह के खतरनाक बैक्टीरिया हैं जो दवाओं के खिलाफ खुद ब खुद प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसके बाद इन पर किसी भी तरह के एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता।
नई दिल्ली (जेएनएन)। खतरनाक रूप अख्तियार कर चुके इबोला और जीका के वायरस के संकट से दुनिया उबर भी नहीं पाई है कि अब सुपरबग का भी खतरा मंडराने लगा है। यह सुपरबग एड्स के वायरस से भी खतरनाक है। इस सुपरबग पर सारे एंटीबायोटिक बेअसर हैं।
कनाडा, दक्षिण अफ्रीका औऱ यूरोप के बाद सुपरबग का जबरदस्त अटैक अमेरिका में हुआ है। अमेरिका में एक ऐसे भारतीय सुपरबग का पता चला है, जिस पर किसी भी एंटीबायॉटिक का असर नहीं होता। डॉक्टरों ने इसे न्यू डेली मेटालो-बीटा-लेक्टामेस (NDM) नाम दिया है। 70 साल की एक संक्रमित मरीज की मौत के बाद डॉक्टरों ने इसका पता लगाया है।
गौरतलब है कि हाल ही में 70 वर्षीय अमेरिकी महिला की मौत हुई थी। यह महिला दो साल पहले अपने थाइ बोन फ्रैक्चर का इलाज कराने दिल्ली आई थी।
अब जाकर महिला के घाव के नमूनों से पता चला है कि उसके अंदर न्यू डेली मैटालो-बीटा-लैक्टमेस (NDM) नाम का सुपरबग पाया गया।
जांच से यह भी पता लगा है कि पूरे अमेरिका में इस इन्फेक्शन के इलाज के लिए दवाई नहीं है। इस खोज ने मेडिकल प्रफेशनल्स को इसलिए परेशान कर दिया है, क्योंकि जो सुपरबग महिला में पाया गया उस पर एंटीबायॉटिक्स का असर नहीं करते।
बताया जा रहा है कि अटलांटा की लैबरेटरी CDC के मुताबिक, यह महिला कई बार भारत के अस्पताल में भर्ती हुई और आखिरी बार जून 2016 में आई थी।
जानकारी के मुताबिक, अमेरिका लौटने के कुछ समय बाद अगस्त महीने में निवाडा के एक हॉस्पिटल में महिला को भर्ती कराया गया, लेकिन महिला को सेप्टिक हुआ और सितंबर में उसकी मौत हो गई।
जानें क्या है सुपरबग
सुपरबग एक तरह के खतरनाक बैक्टीरिया हैं जो दवाओं के खिलाफ खुद ब खुद प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसके बाद इन पर किसी भी तरह के एंटीबायोटिक्स का असर नहीं होता।
अमेरिका के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी थॉमस फ्रेडेन का कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब एंटीबायोटिक पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। थॉमस अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के मुखिया भी है। इससे पहले सुपरबग कनाडा, दक्षिण अमरीका, अफ्रीका और यूरोप में भी पाए गए हैं।