मां ने किया इंकार तो सासू ने किडनी देकर बचाई बहू की जिंदगी
सास बहू की लड़ाई जग जाहिर है। टीवी धारावाहिकों में भी इन रिश्तों की कटुता को फिल्माया जा चुका है। लेकिन एक मामले में इन धारावाहिकों के विपरीत कहानी सामने आई है। दिल के कलेजे को मां से जब मदद नहीं की मिली तो सासू ने अपनी किडनी को देकर
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सास बहू की लड़ाई जग जाहिर है। टीवी धारावाहिकों में भी इन रिश्तों की कटुता को फिल्माया जा चुका है। लेकिन एक मामले में इन धारावाहिकों के विपरीत कहानी सामने आई है। दिल के कलेजे को मां से जब मदद नहीं की मिली तो सासू ने अपनी किडनी को देकर बहू की जान बचाई।
किडनी फेल्योर की बीमारी से पीडि़त उत्तम नगर की रहने वाली 37 वर्षीय महिला कविता को उसकी मां ने ऐन वक्त पर किडनी देने से इंकार कर दिया तो उसकी सास विमला ने अपनी किडनी दान कर उसकी जिंदगी बचाई। 65 वर्षीय विमला ने साबित कर दिया कि सास का दर्जा भी मां से कम नहीं होता। कविता भी अपनी सास की इस रहनुमाई पर गदगद है।
बीएलके अस्पताल के डॉक्टरों ने 23 जून को कविता को किडनी प्रत्यारोपण किया। करीब डेढ साल से कविता को किडनी की परेशानी थी। उसका वजन भी घटता जा रहा था। किडनी खराब होने के कारण प्रत्यारोपण के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
लिहाजा उसे इस अस्पताल में भर्ती कराया गया। कविता ने कहा कि पहले मां किडनी देने को तैयार थीं। डॉक्टर ने बताया था कि मां या पिता से यदि मैच करता है तो प्रत्यारोपण के लिहाज से यह बेहतर होता है। डॉक्टर ने पहले मां की जांच कराने की सलाह दी थी। लेकिन मां तैयार नहीं हुई। इसके बाद मेरी सास किडनी दान करने के लिए तैयार हो गईं।
अस्पातल के नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सुनील प्रकाश ने कहा कि सास बहू के बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं। यह किडनी प्रत्यारोपण उस रिश्ते की ही मिसाल है और संयुक्त परिवार का बेहतरीन उदाहरण है। बहरहाल कविता अब ठीक है।