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सामने आई चौंकाने वाली बात, 2 रुपये के सिक्के से रोक लेते थे तेज रफ्तार ट्रेन

बदमाश ट्रेन की पटरी के बीच दो रुपये का सिक्का डाल कर अर्थिंग के जरिए हरे सिग्नल को लाल कर देते थे और ट्रेन चालक खतरा समझ कर ट्रेन को रोक देता था।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 15 Nov 2017 09:54 AM (IST)Updated: Sun, 24 Dec 2017 09:35 AM (IST)
सामने आई चौंकाने वाली बात, 2 रुपये के सिक्के से रोक लेते थे तेज रफ्तार ट्रेन
सामने आई चौंकाने वाली बात, 2 रुपये के सिक्के से रोक लेते थे तेज रफ्तार ट्रेन

नोएडा (जेएनएन)। सूरजपुर व रेलवे पुलिस ने संयुक्त अभियान के तहत ट्रेन में लूट करने वाले गिरोह के दो बदमाशों को गिरफ्तार किया है। पुलिस पूछताछ के दौरान पता चला है कि बदमाशों के पास ट्रेन रोकने का नायाब तरीका है।

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बदमाश ट्रेन की पटरी के बीच दो रुपये का सिक्का डाल कर अर्थिंग के जरिए हरे सिग्नल को लाल कर देते थे और ट्रेन चालक खतरा समझ कर ट्रेन को रोक देता था।

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ट्रेन रुकते ही बदमाश उसमें दाखिल हो जाते थे और सवारियों के साथ लूटपाट करते थे। गिरोह में कुल आठ सदस्य है, तीन बदमाशों को गत दिनों रामपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था, अब दो को ग्रेटर नोएडा में पकड़ा गया है।

सीओ प्रथम अमित किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि बदमाश लगातार दिल्ली-हावड़ा रूट व मुरादाबाद रूट पर ट्रेनों में घुसकर लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। दादरी-अलीगढ़ रूट बदमाशों का साफ्ट टारगेट था। शिकायत के आधार पर पुलिस ने इन रूट पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले।

फुटेज की मदद से एक बदमाश की पहचान हो गई। सोमवार रात भी बदमाश तिलपता कंटेनर डिपो के समीप एकत्र हुए थे और दादरी-अलीगढ़ रूट पर ट्रेन में यात्रियों से लूट की योजना थी।

बदमाशों की लोकेशन के आधार पर तिलपता के समीप से दो बदमाशों को गिरफ्तार किया गया, जबकि दो मौके से भाग निकले। पकड़े गए बदमाशों की पहचान बुलंदशहर के रहने वाले राजन व दिनेश के रूप में हुई है।

बदमाशों के पास से तमंचा, दो रुपये का सिक्का बरामद किया गया है। पुलिस ने बताया कि सभी बदमाश एक ही गांव के रहने वाले हैं।

ऐसे करते थे हरे सिग्नल को लाल

पुलिस ने बताया कि जब कोई ट्रेन पटरी से गुजरती है तो कुछ देर के लिए पटरी के जोड़ के बीच थोड़ी सी जगह बन जाती है। इसमें रबड़ आ जाती है। मौका पाकर बदमाश पटरी के बीच में दो रुपये का सिक्का डाल देते थे। सिक्का डालते ही रबड़ भी बीच से हट जाती थी।

सिक्का डालने पर दोनों पटरियों को करंट का अर्थ नहीं मिलता है और अर्थ न मिलने की वजह से सिग्नल ग्रीन के बजाय लाल हो जाता था।

सिग्नल लाल होते ही ट्रेन चालक को लगता था कि आगे खतरा है और चालक ट्रेन को रोक देते थे। जैसे ट्रेन रुकती थी, हथियारों से लैस बदमाश स्लीपर व एसी डिब्बे में सवार हो जाते थे और लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देते थे।

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हर बदमाश की तय होती थी भूमिका

पुलिस पूछताछ में पता चला है कि दो रुपये का सिक्का लगाने के बाद एक बदमाश पटरी से दूर हो जाता था और अन्य बदमाश दो किलोमीटर दूर खड़े रहते थे, जिससे कि सिग्नल ग्रीन से लाल होने पर ट्रेन रूके और बदमाश उसमें दाखिल होकर लूटपाट कर सके।

गिरोह के एक बदमाश की भूमिका लूट के सामान को बेचने की होती थी। गिरोह के तीन बदमाश लोकेश, मोनू और राजू को बीते दिनों रामपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

तीन से पांच मिनट का लगता था समय

सिग्नल हरा से लाल होने पर ट्रेन रुकती थी। विशेषज्ञ द्वारा सिग्नल को फिर से हरा करने में तीन से पांच मिनट का समय लगता था। ऐसे में बदमाशों के पास महज तीन से पांच मिनट का समय ही लूटपाट के लिए रहता था। बदमाश कम समय में ही लूट कर मौके से फरार हो जाते थे।

बदमाश अपने पास दो रुपये का लकी सिक्का रखते थे, जिससे कि सबसे ज्यादा बार सिग्नल हरे से लाल होता था। बदमाशों के पास से सात लकी सिक्के भी बरामद किए गए हैं।

हो सकता था बड़ा हादसा

पुलिस का मानना है कि पटरी के बीच में सिक्का लगाने से कई बार ट्रेन पटरी से भी उतर जाती है। यदि बदमाशों को समय पर नहीं पकड़ा जाता तो उनकी वजह से बड़ा ट्रेन हादसा हो सकता था। बदमाशों के द्वारा अपनाए गए नायाब तरीके से यात्रियों की जान खतरे में रहती है। 


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