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भ्रष्टाचार मामले में पांच दिन की सीबीआइ हिरासत में सैयद बुर्हानुद्दीन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के रायपुर से गिरफ्तार आइएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल के खिलाफ भ्

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Feb 2017 06:36 PM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 06:36 PM (IST)
भ्रष्टाचार मामले में पांच दिन की सीबीआइ हिरासत में सैयद बुर्हानुद्दीन

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के रायपुर से गिरफ्तार आइएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में पटियाला हाउस कोर्ट ने कथित दलाल सैयद बुर्हानुद्दीन को पांच दिन की सीबीआइ हिरासत में भेज दिया है। उस पर भ्रष्टाचार का मामला खत्म कराने की एवज में अग्रवाल से लाखों रुपये लेने का आरोप है।

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विशेष सीबीआइ जज वीरेंद्र कुमार गोयल के समक्ष सोमवार दोपहर करीब 2.30 बजे मामले की सुनवाई हुई। सैयद को सीबीआइ के अधिकारी दो बजे ही कोर्ट रूम में लेकर आ गए थे। नीले रंग पर सफेद धब्बे की कमीज पहने सैयद काफी तनाव में था। वह लगातार मन ही मन कुरान की आयतें पढ़ रहा था। जज के आते ही वह आगे आया और हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।

सीबीआइ के वकील एमके शुक्ला ने अदालत से पांच दिन की सीबीआइ हिरासत में देने की अपील की। उनका तर्क था कि अन्य आरोपियों के आमने-सामने बैठकर उससे पूछताछ करनी है और केस से संबंधित कई बरामदगी अभी बाकी है। तब तक बचाव पक्ष के वकील कोर्ट रूप में नहीं पहुंचे थे। उनके जूनियर ने उनके हाई कोर्ट में व्यस्त होने का हवाला देते हुए 10 मिनट देने की मांग की। आने के बाद बचाव पक्ष के वकील अनिल कुमार ने सीबीआइ का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सीबीआइ हिरासत में लेने के स्पष्ट कारण बताए। जमानत मुवक्किल का हक है। उन्होंने यहां तक कह दिया कि सीबीआइ जबरन सैयद बुर्हानुद्दीन से अपनी बात मनवाना चाहती है। सीबीआइ का तर्क था कि मामले में अन्य अधिकारियों की संलिप्तता का पता लगाया जा रहा है।

करीब एक घंटे तक दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया और फिर बाद में सीबीआइ को पांच दिन की हिरासत प्रदान कर दी। अदालत ने साफ कहा कि सैयद के वकील प्रत्येक दिन उससे 30 मिनट तक मिल सकते हैं। इससे पूर्व अदालत ने आइएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल उनके रिश्तेदार आनंद अग्रवाल व मध्यस्थता कराने वाले भगवान सिंह को गिरफ्तार किया था। तीनों सीबीआइ हिरासत में हैं।

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लाइव रिपोर्टिग

अमित कसाना, नई दिल्ली

अदालत में सीबीआइ और बचाव पक्ष के बीच करीब एक घंटे तक बहस चली। बचाव पक्ष ने सीबीआइ की कार्रवाई का जमकर विरोध किया। उन्होंने जांच एजेंसी पर नियमों के विरुद्ध कार्रवाई करने का आरोप लगाया। वहीं सीबीआइ ने कहा कि वह मामले की गहराई से जांच कर रही है।

जज-(सीबीआइ के वकील से) हां, बताइए क्या कहना चाहते है?

सीबीआइ के वकील-सैयद के माध्यम से मामले में पैसों का लेन-देन हुआ। उसने खुद को पीएमओ का अधिकारी बता बीएल अग्रवाल से उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार का मामला रफा-दफा कराने की एवज में दो करोड़ की मांग की थी और 60 लाख रुपये वह ले चुका है।

जज-क्या बीते पांच दिन में पूछताछ खत्म नहीं हुई ?

सीबीआइ के वकील-(एक गवाह के बयान दर्ज कराने की अर्जी देते हुए) हमने पूछताछ की है, लेकिन अग्रवाल व सैयद दोनों के बीच के टेलीफोन पर काफी बातचीत हुई है। (टेलीफोन का रिकार्ड पेश करते हुए) हमें दोनों से ओर पूछताछ करनी है। कुछ बैंक रिकार्ड व अन्य दस्तावेज भी बरामद करने हैं।

तब तक बचाव पक्ष का वकील पहुंचते हैं और आते ही कोर्ट से मुखातिब होते हुए- जनाब सीबीआइ ने मुझे हिरासत संबंधी अपील नहीं दी। वह अपील नहीं दे रहा है और न ही हिरासत में लेने के ठोस कारण बता रहा है। मेरे मुवक्किल के खिलाफ क्या आरोप हैं मुझे यह जानने का हक है, मुझे अपील की कॉपी दिलाई जाए जिससे मुवक्किल के बचाव में तर्क रख सकूं।

जज-अर्जी की कॉपी देने में क्या हर्ज है?

सीबीआइ के वकील-अभी जांच शुरुआती स्टेज में है। पूछताछ में कई संवदेनशील तथ्य सामने आए हैं। जांच एजेंसी अभी अर्जी नहीं दे सकती है। वह मामले की जांच को प्रभावित कर सकता है।

सैयद के वकील-सीबीआइ नियमों के विरुद्ध काम कर रही है। वह बिना दिमाग लगाए मामले की जांच कर रही है। एजेंसी को कुछ बरामद नहीं करना है। अब तो वह केवल सैयद से जबरन अपनी बात मनवाना चाहती है। सीबीआइ लिखित में दे कि वह अर्जी नहीं दे सकती। अदालत से आग्रह है कि वह इस बात को रिकार्ड में ले।

सीबीआइ के वकील-सीबीआइ मामले की गहराई से जांच कर रही है। एजेंसी यह जानना चाहती है कि वह इसमें कौन-कौन उच्च अधिकारी संलिप्त हैं।

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यह है पूरा मामला

सीबीआइ के अनुसार वर्ष 1988 बैच के आइएएस अधिकारी बीएल अग्रवाल पर वर्ष 2010 में भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए गए थे। इन मामलों को वह रफादफा करने का प्रयास कर रहे थे। वह नोएडा में रहने वाले भगवान सिंह के माध्यम से सैयद के संपर्क में आए। भ्रष्टाचार के मामलों को निपटाने के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की रिश्वत की माग की गई। डील के तहत आइएएस अधिकारी ने 60 लाख रुपये की रकम चार किश्तों में आरोपी को दे भी दी थी। उन्होंने बाकी रकम दे पाने में असमर्थता जताई। बाकी की रकम की जगह वह दो किलो सोना लेने में राजी हो गए।


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