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विश्व मलेरिया दिवसः अब पौधों से निकलेगी मच्छरों को मारने की दवा

नीम, सिट्रोनेला आदि से ऐसी दवाएं विकसित करने की कोशिश की जा रही है, जिससे मच्छरों को मारा जा सके। यह देखा गया है कि इसकी खुशबू से मच्छर भाग जाते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 25 Apr 2017 07:33 AM (IST)Updated: Tue, 25 Apr 2017 09:04 PM (IST)
विश्व मलेरिया दिवसः अब पौधों से निकलेगी मच्छरों को मारने की दवा
विश्व मलेरिया दिवसः अब पौधों से निकलेगी मच्छरों को मारने की दवा

नई दिल्ली (जेएनएन)। बाजार में मौजूद लिक्विड व क्वायल मच्छरों पर बेअसर हो रहे हैं। विभिन्न शोधों में यह साबित हो चुका है कि मच्छरों में प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाने के चलते वर्तमान समय में उपलब्ध लिक्विड व क्वायल से मच्छर नहीं मर पाते।

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ऐसे में मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया आदि की रोकथाम चुनौती बनी हुई है। इसके मद्देनजर द्वारका स्थिति राष्ट्रीय मलेरिया शोध संस्थान मच्छर मारने की नई दवा विकसित करने में जुटा हुआ है। इसके तहत नीम व कई अन्य औषधीय पौधों से मच्छर मारने की दवा विकसित करने के लिए शोध हो रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि देश में हर साल करीब 10 लाख लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं। इस वजह से सैकड़ों लोगों की इस बीमारी से मौत हो जाती है। यह बीमारी प्रोटोजोआ परजीवी के संक्रमण से होता है।

मादा एनाफिलीज मच्छर इस प्रोटोजोआ की संवाहक होती है, इसलिए मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी की रोकथाम के लिए मच्छरों से बचाव जरूरी है। मच्छरों के जीन व व्यवहार में परिवर्तन हो गया है, इसलिए इस बीमारी की रोकथाम में इतनी दिक्कतें आ रही हैं।

रात को ही नहीं शाम के वक्त भी काटता है मलेरिया का मच्छर

राष्ट्रीय मलेरिया शोध संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अरूप आर अविकर ने कहा कि पहले मलेरिया का मच्छर रात के वक्त ही काटते थे। वे दिन में नहीं काटते थे। इसलिए रात के वक्त मच्छरदानी लगाकर मच्छरों से बचाव हो जाता था। अब मच्छरों के व्यवहार में आए परिवर्तन के कारण वे शाम में भी काटने लगे हैं।

ऐसे में मच्छरों से बचाव करना मुश्किल हो गया है। हालांकि पहले के मुकाबले मलेरिया के मामले और उससे होने वाली मौत में काफी कमी आई है। उन्होंने कहा कि देश में हर साल करीब 500 लोगों की मलेरिया से मौत होती है।

संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. अभिनव सिन्हा ने कहा कि मलेरिया की बीमारी से बचने के लिए कई स्तरों पर शोध चल रहा है। इस क्रम में नीम, सिट्रोनेला आदि से ऐसी दवाएं विकसित करने की कोशिश की जा रही है, जिससे मच्छरों को मारा जा सके। सिट्रोनेला का इस्तेमाल इत्र, स्प्रे आदि के निर्माण में किया जाता है। यह देखा गया है कि इसकी खुशबू से मच्छर भाग जाते हैं। इसके अलावा कई और पौधे हैं जो मच्छर भगाने में मददगार हैं।


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