दिल्ली: चिड़ियाघर में तेजी से कम हो रही है विदेशी जानवरों की संख्या
जिराफ, जेब्रा, अफ्रीकन गैंडा, कोबरा, शुतुरमुर्ग, चीता, कंगारू समेत कई ऐसे जानवर हैं जिनकी प्रजाति यहां से लुप्त हो चुकी है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली के चिड़ियाघर में रोजाना हजारों की संख्या में लोग देशी विदेशी पशु पक्षियों को करीब से देखने पहुंचते हैं। लेकिन यहां पहुंचकर ज्यादातर लोगों को निराशा हाथ लगती है। कारण कि यहां लगातार जानवरों की संख्या घट रही है। खासकर विदेशी जानवरों की। समय पर एक्सचेंज प्रोग्राम न होने के चलते आज चिड़ियाघर के कई बाड़े सूने हो चुके हैं।
जिराफ, जेब्रा, अफ्रीकन गैंडा, कोबरा, शुतुरमुर्ग, चीता, कंगारू समेत कई ऐसे जानवर हैं जिनकी प्रजाति यहां से लुप्त हो चुकी है। साथ ही इन्हें लाने के लिए किसी तरह के प्रयास भी नहीं किए जा रहे है। यहां लगे कई साइन बोर्ड लोगों को भ्रमित भी कर रहे हैं जहां अब भी ऐसे जानवरों के नाम लिखे हैं जो अब यहां नहीं हैं।
विदेशों से एक्सचेज प्रोग्राम तो कई वर्ष पहले ही ठप हो चुका है। लेकिन हालत यह है कि चिड़ियाघर को देश के भीतर से भी जानवर प्राप्त करने में मशक्कत करनी पड़ रही है। पिछले पांच वर्षों में यहां गिने चुने ही एक्सचेंज प्रोग्राम हुए हैं। जिनमें से भी लाए हुए ज्यादातर जानवर मर चुके हैं।
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इस समय चिड़ियाघर मे एक दर्जन से ज्यादा जानवर ऐसे है जो अकेले रह रहे है। इनमें से भी कई इतने बूढ़े हो चुके हैं कि मरने की कगार पर है और कई वर्षों से अकेले हैं। जिससे इनकी ब्रीडिंग प्रभावित हो रही है।
इसमे भी गैंडे और बब्बर शेर की ब्रीडिंग सबसे अहम हैं जिसके लिए दिल्ली के चिड़ियाघर को अहम जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन जोड़े की पूर्ति न होने के कारण ब्रीडिंग नहीं हो पा रही है। बाकी चिड़ियाघरों से भी बात बनती नहीं दिख रही है जबकि कई जगह इनकी संख्या काफी ज्यादा है।
विभागों में तालमेल की कमी
एक्सचेंज प्रोग्राम को लेकर चिड़ियाघर प्रशासन और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण में तालमेल की कमी का मामला सामने आ रहा है। प्राधिकरण का कहना है कि चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से एक्सचेंज प्रोग्राम को लेकर कोई नई प्रविष्टि नहीं दी गई है। जिसके चलते एक्सचेंज प्रोग्राम में रुकावट आ रही है। वहीं, चिडि़याघर प्रशासन का कहना है कि वह जानवरों से संबंधित सभी रिपोर्ट प्राधिकरण को भेजते हैं। लेकिन इस बाबत प्राधिकरण कुछ नहीं कर रहा है।
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