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विश्व पुस्तक मेले ने तोड़ेे पिछले रिकॉर्ड, नहीं दिखा नोटबंदी असर

विश्व पुस्तक मेला आयोजक नेशनल बुक ट्रस्ट के उप निदेशक कुमार समरेश ने बताया कि वे पिछले 5 सालों से इस मेले का हिस्सा रहे हैं लेकिन इस साल पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 03:33 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 07:53 AM (IST)
विश्व पुस्तक मेले ने तोड़ेे पिछले रिकॉर्ड, नहीं दिखा नोटबंदी असर

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। नेशनल बुक ट्रस्ट का प्रचार प्रसार कहें या किताबों के प्रति दिल्ली एनसीआर वासियों का बढ़ता प्रेम। इस वर्ष विश्व पुस्तक मेले ने अपने ही पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। मेले में आने वाले पुस्तक प्रेमियों और टिकट बिक्री की संख्या में ही इजाफा नहीं हुआ बल्कि नोटबंदी के बावजूद कारोबार भी करोड़ों रुपये का हुआ है।

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वर्ष 2016 के विश्व पुस्तक मेले में करीब एक हजार प्रकाशकों ने शिरकत की थी। नौ दिन तक ही चले इस मेले में करीब 10 लाख पुस्तक प्रेमियों ने भाग लिया था। नेशनल बुक ट्रस्ट की बिक्री करीब 50 लाख रुपये की रही थी और कार्य दिवस पर मेट्रो स्टेशनों पर टिकट बिक्री का आंकड़ा 7 हजार जबकि सप्ताहांत पर 15 हजार के आसपास रहा था। इस साल यह सारा आंकड़ा बदल गया।

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प्रगति मैदान का जीर्णोद्धार कार्य चलने के कारण इस साल विश्व पुस्तक मेले के लिए हाल नं. 6 नहीं मिल सका। इसी वजह से प्रकाशकों की संख्या भी 800 के आसपास ही रह गई। इसके बावजूद पुस्तक प्रेमियों की संख्या 20 फीसद इजाफे के साथ जहां 12 लाख दर्ज की गई वहीं अकेले नेशनल बुक ट्रस्ट की बिक्री का आंकड़ा 70 लाख पार कर गया। प्रकाशकों की आय का कहीं कोई आधिकारिक रिकार्ड नहीं है किन्तु जिस प्रकार सभी प्रकाशक इस साल काफी खुश हैं, उससे करोड़ों रुपये के कारोबार का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है।

50 मेट्रो स्टेशनों पर भी कार्य दिवसों पर जहां 13 से 15 हजार टिकटें बिकी वहीं शनिवार यानी सप्ताहांत में आंकड़ा 30 हजार तक पहुंच गया। शनिवार को तो पुस्तक मेले में कई हालों में लोगों को कतार में लगकर प्रवेश करते देखा गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी ठंड के बावजूद खासी संख्या में लोग नजर आए।

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विश्व पुस्तक मेला आयोजक नेशनल बुक ट्रस्ट के उप निदेशक कुमार समरेश ने बताया कि वे पिछले 5 सालों से इस मेले का हिस्सा रहे हैं लेकिन इस साल पिछले सभी रिकॉर्ड टूट गए। हर कोई खुश है। सामयिक प्रकाशन के एम डी महेश भारद्वाज ने बताया कि शुरूआत में नोटबंदी के चलते कारोबार के प्रति बहुत आशंका लग रही थी किन्तु सभी आशंकाएं निर्मूल साबित हुई। गत वर्षों की तुलना में अच्छा कारोबार रहा।

पेंगविन रेंडम हाउस इंडिया लिमिटेड के उपाध्यक्ष (उत्पाद एवं बिक्री) नंदन झा ने भी इस साल पुस्तकों की बिक्री में 20 फीसद के इजाफे की पुष्टि की है। हार्पर कोलिन के लेखा प्रमुख विकास शर्मा ने भी माना कि नोटबंदी का कहीं कोई असर देखने को नहीं मिला। पिछले साल की तुलना में काफी अच्छी बिक्री हुई। खुशवंत सिंह और अभिनेता ऋषि कपूर की लिखी किताबों की बहुत मांग रही।


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