केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की किडनी फेल, जानें क्या है बीमारी और इसका इलाज
दिल्ली के अपोलो अस्पताल से जुड़े सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. डीके अग्रवाल का कहना है कि दवाओं (पेनकिलर्स) का अनावश्यक प्रयोग न करें।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूरे संसार में कैंसर और दिल की बीमारी के बाद किडनी की खराबी तीसरी सबसे बड़ी जानलेवा बीमारी बनती जा रही है। एक अध्ययन के अनुसार किडनी की बीमारी के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। दोनों किडनी ख़राब होने के कारण हर साल भारत में लगभग एक लाख किडनी ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ रही है।
हमारे शरीर के हानिकारक पदार्थो को शरीर से छानकर बाहर निकलने का काम किडनी का ही होता है! किडनी हमारे शरीर के लिए रक्त शोधक का काम करती है, हम जो कुछ भी खाते है उसमे से विषैले तत्वों और नुकसान पहुचने वाले पदार्थो को यूरिनरी सिस्टम (मूत्राशय) के जरिये बाहर निकाल देती है जिससे के शरीर ठीक तरीके से काम कर सके और जहरीले तत्व कोई हानि नहीं पंहुचा सके!
हमें देश में दिन प्रति दिन ये बीमारी विकराल रूप से बड रही है और इस बीमारी की वजह से लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते है! दुख की बात तो ये है के इस बीमारी का बहुत देर से पता चलता है जब तक किडनी 60-65% तक ख़राब हो चुकी होती है! इस रोग में बहूत सावधानी बरतनी पड़ती है!
इसलिए किडनी फेल होती है
हमारे शरीर के रक्त को शोधित करने का काम करने वाली किडनी खून में से हानिकारक पदार्थो को मूत्र के माध्यम से अनावश्यक व जहरीले तत्व बहार कर देती है!
किडनी रोग के लक्षण
-हाथ पैर व आंखों के नीचे के भाग में सूजन आ जाती है।
-मरीज को भूख नहीं लगती है और शरीर में खून की कमी होने लगती है।
-शरीर में खुजली होना, बार बार मूत्र आना, कमजोरी महसूस होती है।
-सांस फूलने लगती है और हाजमा भी खराब रहता है।
किडनी रोग का इलाज
इसके इलाज में रोगी को रीनल रिप्लेसमेंट की जरूरत पड़ती है। वैसे तो पूर्णता: इलाज किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा ही हो सकता है, लेकिन जब तक मरीज का ट्रांसप्लांट नहीं हो जाता है तब तक डायलिसिस के जरिये ही काम लिया जा सकता है।
किडनी के इलाज में खर्च
किडनी के इलाज में काफी खर्च आता है, लेकिन ये महंगा होता है। यहां तक कि सरकारी अस्पताल में भी इलाज का खर्चा 2 से 3 लाख तक आ जाता है, वो भी तब जब किडनी किसी ब्रेन डेड व्यक्ति से लिया गया हो, जबकि प्राइवेट या निजी हॉस्पिटल में 7-8 लाख तक खर्च करने पड़ सकते है! और अगर ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता है तो खर्चा और बढ़ जाता है।
किडनी डायलिसिस पर खर्च होता है?
एक बार डायलिसिस में कम से कम 2,000 रूपए से 3,000 रुपये तक का खर्चा आता है, जो हर महीने लगभग कम से कम 20,000 रुपये से 30,000 रुपये तक खर्च हो जाते है।
बरतें ये सावधानी
-प्रोटीन, नमक, और सोडियम कम मात्र में खाए।
-30 साल की उम्र से ही ब्लड प्रेशर और शुगर की नियमित जांच कराते रहना चाहिए।
-नियमित व्यायाम करे, अपने वजन को बढ़ने न दे।
-खाना समय पर और जितनी भूख हो उतनी ही खाएं, बाहर का खाना ना ही खाए तो बेहतर है।
-सफाई के खाने में विशेष ध्यान रखे, तथा पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें।
- अंडे के सफ़ेद वाले भाग को ही खाए उसमे किडनी को सुरक्षित रखने वाले तत्व जैसे के फोस्फोरस और एमिनो एसिड होते हैं।
-मछली खाए इसमे ओमेगा 3 फैटी एसिड किडनी को बीमारी से रक्षा करता है।
-प्याज, स्ट्राबेरी, जामुन, लहसुन इत्यादी फायेदेमंद होते हैं ये मूत्र के संक्रमण से बचाते है तथा लहसुन में उपस्थित एंटी ओक्सिडेंट एवं एंटी क्लोटिंग तत्व दिल की रख्षा करता है और कोलेस्ट्रोल को कम करता है तथा किडनी के लिए फायदेमंद होता है।
इस पर भी करें अमल
- संक्रमण से बचें खासकर गले, छाती के संक्रमण से।
- अगर शरीर में सूजन हो तो डॉक्टर से मिलें।
- कई बार इस बीमारी में किडनी की सुई से जांच करनी पड़ती है, जिसे किडनी की बॉयोप्सी भी कहते हैं।
इससे बीमारी के कारण का पता चल जाता है। समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो मरीज सही हो सकता है।
पेशाब में बार-बार संक्रमण
इससे किडनी के खराब होने का अंदेशा रहता है। ऐसे संक्रमण पुरुषों में पथरी, सिस्ट आदि कारणों से हो सकते हैं और महिलाओं में इस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से। पेशाब में अगर रुकावट होती है तो किडनी पर दबाव पड़ता है। इससे भी किडनी खराब हो सकती है। पेशाब में रुकावट के कई कारण हो सकते हैं।
- बच्चों में जन्म से रुकावट जैसे पोस्टीरियर यूरीथ्रल वाल्व और पी. यू. आब्सट्रक्शन आदि।
- अगर कोई बच्चा पेशाब करने में रोता है तो रुकावट हो सकती है।
- वयस्कों में पथरी, प्रोस्टेट ग्रंथि का बढऩा व प्रोस्टेट कैंसर आदि।
- अगर किसी मरीज को पेशाब में जोर लगाना पड़ता हो तो रुकावट हो सकती है। इसकी जांच करानी चाहिए।
- अगर पेशाब में खून आता है तो यह लक्षण पथरी या कैंसर की गांठ के कारण हो सकता है ।
दर्द निवारक दवाओं के इस्तेमाल से बचें
दिल्ली के अपोलो अस्पताल से जुड़े सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. डीके अग्रवाल का कहना है कि दवाओं (पेनकिलर्स) का अनावश्यक प्रयोग न करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि इनका प्रयोग किडनी को खराब कर सकता है। इनका प्रयोग डॉक्टर की सलाह से करें। गुर्दे के मरीजों के लिए ट्रामाडोल या पैरासीटामोल का इस्तेमाल किया जा सकता है।