देश में महिलाओं की चोटी कटने के पीछे कहीं ये तो नहीं है असली वजह...
महिलाओं की चोटी कटने की घटना को लेकर रोजाना नई कहानियां सामने आ रही हैं। लोगों में अफवाह है कि चोटी कटने के पीछे किसी डायन या चुड़ैल का हाथ है।
गाजियाबाद (जेएनएन)। दिल्ली समेत देश की तकरीबन 10 राज्यों में महिलाओं की चोटी काटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यह सिलसिला जारी है। आलम यह है कि इस समय चोटी कटने की अफवाह तेजी से फैल रही है। घटना के बीच एक तबका सहमा हुआ नजर आता है तो दूसरा वर्ग इन अफवाहों को लेकर पूरी तरह से तर्क-वितर्क कर रहा है। इनसे हलकान पुलिस प्रशासन पहले ही कोरी अफवाह करार दे चुका है।
मनोचिकित्सकों की मानें तो चोटी कटने की घटनाएं सिर्फ पर्सनॉलिटी डिस्आर्डर और मैलेंगरिंग (नाटक) है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इन अफवाहों पर विराम लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि घटनाओं पर विस्तृत चर्चा करने के साथ ही जागरूक किया जाए। ऐसा नहीं करने पर आने वाले समय में यह घटनाएं और बढ़ेगी।
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महत्व दिखाने के लिए हो रही हैं घटनाएं
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. संजीव त्यागी का कहना है कि करीब पंद्रह वर्ष पूर्व इसी तरह की एक अफवाह फैली थी कि बंदर आया, लेकिन किसी ने कभी देखा नहीं। वह भी मानसिक रोग यानी मॉस हिस्टीरिया था। इसमें किसी की उपस्थिति का आभास होता है और हकीकत में मौके पर कुछ होता नहीं है।
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इस बार स्थिति उससे अलग है महिलाओं या लड़कियों की चोटी कट रही है। इन हकीकत की कुछ घटनाओं में अपनों का ही हाथ होता है जो परेशान करने या मजाक उड़ाने के लिए करते हैं ।
कुछ घटनाओं के लिए महिलाएं स्वयं जिम्मेदार होती हैं जो सामाजिक या पारिवारिक रूप से उपेक्षित हो जाती हैं और स्वयं का महत्व दिखाने, लोगों का ध्यानाकर्षण करने के लिए इन घटनाओं को अंजाम देती हैं। इसका ताजा उदाहरण मुरादनगर में महिला एवं किशोरी के स्वयं से चोटी काटने की है।
महिला ने दो लाख के मुआवजे के चक्कर में चोटी काटी थी तो किशोरी चोटी छोटी कर ब्वॉय कट बाल रखना चाहती थी, लेकिन घर वाले इजाजत नहीं दे रहे थे। डॉ. संजीव का कहना है कि इसके लिए जरूरी है कि खुलकर चर्चा की जाए और इन अफवाहों पर रोक लगाई जाए।
अटेंशन और अट्रैक्शन के लिए हो रही हैं घटनाएं
मनोचिकित्सक डा. नियति धवन का कहना है कि जो घटनाएं हुई हैं वह किसी बुजुर्ग महिला या संपन्न घराने में नहीं हुई हैं। क्योंकि इन दोनों में इस तरह अटेंशन और अट्रैक्शन यानी ध्यानाकर्षण के लिए इस तरह की सहानुभूति की जरूरत नहीं पड़ती है।
वहीं इन घटनाओं के बहाने अपनी जरूरत पूरी करना भी शामिल है चाहे वह मुआवजे की चाहत हो छोटी चोटी रखने की इच्छा। किसी भी महिला की चोटी जड़ से नहीं कटी है, इसके अलावा किसी को भी चोटी कटने से पहले बेहोश होते नहीं देखा है।
उन्होंने कहा कि कटने के बाद महिलाएं ही बताती हैं कि वह बेहोश हो गई थीं। इन घटनाओं को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ ही पुलिस एवं प्रशासन को सख्ती की जरूरत है।
दिल्ली की इस घटना पर डालें नजर
पिछले दिनों दिल्ली के दक्षिणपुरी से 14 साल की एक लड़की ने दावा किया था कि दोपहर को किसी ने उसकी चोटी काट ली और उसके बल उसी के पास पड़े मिले दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया था कि हम लोगों ने तथ्यों की जांच के लिए वहां पर एक पुलिस टीम भेजी, जांच में सामने आया कि लड़की का 10 साल का छोटा भाई और 12 साल के उसके एक भतीजे ने शरारत में लड़की चोटी काट दी थी। घटना के वक्त लड़की सो रही थी।
पुलिस ने जब बच्ची से पूछताछ की तो उसकी बात में कुछ गड़बड़ी लगी तो पुलिस ने दरकार जब बच्ची से पूछा तो सारा सच सामने आ गया। बच्चों ने कहा की शरारत वश किसी ने बच्ची की चोटी कट दी थी। बच्ची के मां-पिता के कहने पर केस को बंद कर दिया गया। कुछ ऐसे ही मामले एनसीआर में भी सामने आए थे।