जानिये, हरियाणा की सुंदरियां अमीषा और ऋतु ने कैसे लिखी कामयाबी की इबारत
अमीषा और ऋतु दोनों किसान परिवार से हैं और अपने पिता और ससुर को उपलब्धि का सारथी मानती हैं।
फरीदाबाद (बिजेंद्र बंसल)। महक उठेगी ये दुनिया, हर इक पल मुस्कराएगा, दुलारेगा जो बेटी को वो आंचल मुस्कराएगा...समझ लो दुनिया वालों अब तो गहरी नींद से जागो, समय रहते अगर संभले तभी कल मुस्कराएगा। कवि दिनेश रघुवंशी की इन पंक्तियों का असर यूं तो अब समाज के अधिकांश परिवारों में देखने को मिल रहा है, अब परिवारों में बेटी को बेटों जैसी ही अहमियत मिल रही है।
औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में मिसेज साउथ एशिया पैसिफिक सौंदर्य प्रतियोगिता-2017 की विजेता अमीषा चौधरी और एलीट मिसेज इंडिया 2017 की फर्स्ट रनरअप डॉ. ऋतु तेवतिया ने अपनी उपलब्धि से अपना ही नहीं शहर का नाम भी रोशन किया है।
ये दोनों सुंदरी किसान परिवार से हैं और अपने पिता और ससुर को उपलब्धि का सारथी मानती हैं। प्रस्तुत है अमीषा और डॉ. ऋतु की जुबानी, उनके पिता और ससुर के सहयोग की कहानी ...।
पिता व ससुर बने सारथी तो छू लिया आसमान
मिसेज साउथ एशिया पैसिफिक सौंदर्य प्रतियोगिता 2017 अमीषा चौधरी का कहना है कि मैं मोहना गांव के रुढ़िवादी जाट परिवार से हूं। मैंने अक्सर परिवार या जाति के मालिक के नाम पर ऐसे वाकया सुने हैं जिनके स्मरण करने मात्र से ही रूह कांप जाती है, लेकिन मेरे पिता ने रुढ़िवादी परंपराओं से अलग हटकर मुझे मेरे सपनों की उड़ान भरने का हौसला दिया।
12वीं पास की तो परिवार की इच्छा थी कि मैं डॉक्टर बनूं। जब पिता चौधरी उदयवीर सिंह ने एयर होस्टेस बनने के प्रति उत्साह देखा तो स्वयं एयर होस्टेस अकादमी में दाखिला दिलाया। मैं एयर इंडिया में एयर होस्टेस हूं।
शादी के बाद जब मैंने सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की बात अपनी ससुराल में रखी, तो सबसे पहला सहयोग मेरे ससुर इंजीनियर मुकेश वर्मा का मिला। मेरे पिता और ससुर ने एक सारथी की तरह मेरी जिंदगी में खुशहाली के रथ को आगे बढ़ाया।
वहीं, एलीट मिसेज इंडिया 2017 की फर्स्ट रनरअप का डॉ. ऋतु तेवतिया का कहना है कि मेरे पिता टीएस दलाल शिक्षक और ससुर वीरपाल तेवतिया टेक्सटाइल इंजीनियर हैं। मेरा सौंदर्य प्रतियोगिता में जाने से लेकर उपलब्धि हासिल करने की पीछे इन दोनों की प्रेरणा है।
पिता ने मुझे बेटे से भी ज्यादा प्यार, दुलार और लाड़ दिया। शादी के बाद जब ससुराल पहुंची तो मेरे ससुर ही मेरे लिए प्रेरणास्रोत बन गए।
मैं पिता की लाडली रही सोचती थी कि शादी के बाद पिता की कमी खलेगी, लेकिन शादी के बाद मेरे ससुर ने मुझे बहू नहीं, बल्कि बेटी की तरह मेरी हर खुशी का ख्याल रखा।