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केजरीवाल सरकार के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर पर जालसाजी की FIR

पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर पर मुकदमा दर्ज कराने में विवि को तीन माह से अधिक का समय लग गया।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 09:50 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 09:27 PM (IST)
केजरीवाल सरकार के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर पर जालसाजी की FIR
केजरीवाल सरकार के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर पर जालसाजी की FIR

नई दिल्ली (जेएनएन)। बिहार के तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने लॉ की फर्जी डिग्री मामले में दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर पर विश्वविद्यालय थाने में मामला दर्ज करा दिया है। प्रॉक्टर डॉ. योगेंद्र ने विवि थाने में तोमर पर बुंदेलखंड विवि के फर्जी माइग्रेशन पर विश्वनाथ सिंह विधि महाविद्यालय, मुंगेर में नामांकन लेने और मुंगेर में रहने का झूठा पता देने और गलत ढंग से रजिस्ट्रेशन कराने का आरोप लगाते हुए जालसाजी व धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है।

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पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर पर मुकदमा दर्ज कराने में विवि को तीन माह से अधिक का समय लग गया। फर्जी डिग्री मामले में दिल्ली की हौजखास पुलिस तोमर सहित विवि के 17 पूर्व और वर्तमान शिक्षकों और कर्मियों के विरुद्ध साकेत कोर्ट में 50 हजार पन्नों की चार्जशीट पहले ही दाखिल कर चुकी है।

राजभवन ने दिया था डिग्री रद करने का आदेश

राजभवन ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय प्रशासन को तोमर की डिग्री रद करने का निर्देश दिया था। विवि सीनेट ने गत 20 मार्च को तोमर की डिग्री रद करने की अनुशंसा की थी। सीनेट के निर्णय के आलोक में विवि ने अप्रैल में तोमर की डिग्री रद कर दी थी, लेकिन फर्जी डिग्री मामले में मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया था।

यह है मामला

दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी।

मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि विवि के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी कर दी गई थी।

डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं, लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के थे।

अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय और झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया था। दोनों विवि पूर्व में ही इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर चुके हैं।


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