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हाइपरलूप तकनीकः दिल्ली से मुंबई का सफर सिर्फ एक घंटा 10 मिनट में

कंपनी ने भारत में चेन्नई-बेंगलुरु, चेन्नई-मुंबई, मुंबई-पुणो, मुंबई-दिल्ली, बेंगलुरु-तिरुअनंतपुरम के बीच हाइपरलूप परिवहन की इच्छा जताई है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 17 Jan 2017 08:32 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2017 09:05 PM (IST)
हाइपरलूप तकनीकः दिल्ली से मुंबई का सफर सिर्फ एक घंटा 10 मिनट में
हाइपरलूप तकनीकः दिल्ली से मुंबई का सफर सिर्फ एक घंटा 10 मिनट में

नई दिल्ली (जेएनएन)। क्या आपने कभी सोचा है कि हवा में उड़ान भरे बिना हवाई जहाज से भी तेज गति का सफर किया जा सकता है? आने वाले दिनों में आपको अपने देश में ऐसे सफर का मौका मिल सकता है। यह सफर होगा खास हाइपरलूप तकनीक से। इसकी मदद से दिल्ली से मुंबई के बीच की 1,400 किमी से ज्यादा की दूरी सिर्फ एक घंटा, 10 मिनट में पूरी की जा सकेगी।

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भारत में हवाई जहाज औसतन 900 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरते हैं। वहीं, हाइपरलूप तकनीक से 1,200 किमी प्रति घंटे तक की गति से सफर करना संभव होगा। इस गति से सफर को सच बनाएगी अमेरिकी कंपनी हाइपरलूप ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजिज (एचटीटी)।

एचटीटी मुख्य रूप से अलग-अलग देशों के इंजीनियरों की टीम की मदद से अपने काम को अंजाम देती है। कंपनी के साथ 40 से ज्यादा देशों के 600 से ज्यादा पेशेवर लोग जुड़े हैं। कंपनी के सह संस्थापक और चेयरमैन बिपोप जी. ग्रेस्टा की टीम में भारतीय इंजीनियर भी शामिल हैं।

कंपनी ने भारत में चेन्नई-बेंगलुरु, चेन्नई-मुंबई, मुंबई-पुणो, मुंबई-दिल्ली, बेंगलुरु-तिरुअनंतपुरम के बीच हाइपरलूप परिवहन की इच्छा जताई है। एचटीटी ने हाल ही में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष इस तकनीक का प्रदर्शन किया था। गडकरी इससे प्रभावित हैं।

उन्होंने प्रस्ताव नीति आयोग के समक्ष भेजा है। आयोग एचटीटी को छोटी दूरी पर ट्रायल के लिए कहेगी। अगर सब ठीक रहा तो बड़े पैमाने पर इसे अपनाने पर विचार होगा। ग्रेस्टा का कहना है कि सरकार की ओर से मंजूरी और परियोजना के लिए जमीन मिलने के बाद तीन साल में इसे शुरू किया जा सकता है।

कंपनी का दावा है कि हाइपरलूप हाईस्पीड बुलेट ट्रेन से सस्ता विकल्प होगा। इसमें एक किलोमीटर का रास्ता तैयार करने में करीब चार करोड़ डॉलर (तकरीबन 270 करोड़ रुपये) का खर्च आने का अनुमान है। वहीं हाईस्पीड ट्रेन की लाइन तैयार करने में इसका लगभग दोगुना खर्च आता है।

एचटीटी कई देशों में इस परिवहन व्यवस्था को लागू करवाने की कोशिश में है। हाल ही में कंपनी ने अबू धाबी सरकार से इस संबंध में फिजिबिलिटी टेस्ट करने का करार किया है। कई देशों में कंपनी अध्ययन कर रही है।


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