मोदी के किस रुख से सहमी-सहमी है AAP, आखिर क्या है दिल्ली सरकार का भय
सदन में जिस तरह से आप ने मोदी के मंसूबे का जिक्र करते दिल्ली सरकार पर खतरा बताया है, वह सोचने का विषय है। क्या सच मेंं सरकार को खतरा है या फिर आप की सियासी चाल है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। केंद्र सरकार से लगातार पंगा लेने वाली आम आदमी पार्टी एक मामले को लेकर मोदी सरकार से भयभीत है। आखिर वह कौन सी बात है जिसे दिल्ली सरकार ने विधानसभा में कह कर सबको चौंका दिया। क्या सच में दिल्ली सरकार को कोई खतरा है ? या केवल सियासी हलचल के लिए सबकुछ किया जा रहा है।
दिल्ली विधानसभा में गरज रही आम आदमी पार्टी अपनी ही एक चिंता पर सहम गई। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सदन में कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली में आप की सरकार को हटाकर यहां राष्ट्रपति शासन लगाना चाहती है। उन्होंने कहा केंद्र सरकार के रूख यह बताते हैं कि उन्हें दिल्ली में आप की सरकार खटक रही है।
सदन में एक सवाल के जवाब में सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं यमराज से भी वार्ता करने को तैयार हूं। उन्होंने दिल्ली विधानसभा में दिल्ली की जनता की आवाज जोरशोर से उठाई।
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अपने वक्तव्य के दौरान प्रधानमंत्री का नाम लेने पर विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की टीका-टिप्पणी पर भड़के सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली की जनता के अधिकार के लिए जरूरत पड़ी तो उनसे भी बात करेंगे और सिर्फ उनसे ही नहीं, यमराज से भी बात करेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर कसा तंज, केंद्र में मोदी तो मध्यप्रदेश में गोदी सरकार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर व्यंग्य किया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र में मोदी सरकार है तो वहीं मध्यप्रदेश में गोदी सरकार है। जहां जूते गंदे न हो जाएं तो मुख्यमंत्री पुलिस की गोदी में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने ये बातें विधानसभा शुरू होने के पहले दिन कहीं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश पिछले कई महीनों से लगातार बारिश से बनी बाढ़ की स्थिति से जूझ रहा है। रविवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे सीएम शिवराज को नाला पार कराने के लिए पुलिसवालों ने गोद में उठा लिया था। इसको लेकर शिवराज की खूब आलोचना हो रही है।
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दिल्ली की जनता के काम रोके गए तो कच्चा चबा जाऊंगा
दिल्ली विधानसभा सत्र के पहले दिन की सदन की कार्यवाही का समापन करते हुए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया दिल्ली के वोटर की ताकत के मुद्दे पर भी अत्यधिक उग्र हो गए। उन्होंने बगैर किसी का नाम लिए हुए कहा कि दिल्ली की जनता के काम रोके गए तो कच्चा चबा जाऊंगा।
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उन्होंने कहा कि जनता ने हमें यहां अपनी लड़ाई और अधिकारों के लिए बैठाया है। हम भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अधिकारों को लेकर लगातार लड़ते रहेंगे।
एलजी से असहमति जताना हमारा अधिकार
विपक्ष के नेता द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में सिसोदिया ने कहा कि यह सत्र दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को लेकर या उस पर चर्चा करने के लिए नहीं बुलाया गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने एलजी साहब के पक्ष में जो फैसला दिया है, उसका हम सम्मान करते हैं। मगर फैसले पर सहमति या असहमति जताने का हमें कानूनी अधिकार है।
हम इस फैसले से असहमत हैं। इसलिए हमें जहां जाना होगा, जाएंगे। उन्होंने चिंता जताई कि अरुणाचल प्रदेश और उत्तरांचल के बाद केंद्र सरकार दिल्ली को अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति शासन की ओर ले जा रही है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि हरियाणा, बिहार या दूसरे राज्यों से दिल्ली के मतदाता की ताकत को कम माना जाए। हमें मालूम है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है। इसे ध्यान रखते हुए विकास की योजनाएं बनाई गई थीं।
दिल्ली सरकार के पास पुलिस, पब्लिक ऑर्डर और भूमि के मामलों में फैसला लेने का अधिकार नहीं है। मगर अन्य अधिकार तो हैं। इसके बाद भी ऐसे हालात पैदा किए जा रहे हैं कि सरकार काम नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि आप परेशान करते रहोगे और हम काम करते रहेंगे।