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जंग की नई जमीन तैयार, अब सर्किल रेट पर भिड़ेंगे नजीब-केजरी

उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी हुकूमत की जंग थमती नहीं दिख रही। दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर स्वाति मालीवाल की नियुक्ति का मामला अभी निपटा ही है कि टकराव की नई भूमिका तैयार हो गई है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2015 07:21 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2015 04:47 PM (IST)
जंग की नई जमीन तैयार, अब सर्किल रेट पर भिड़ेंगे नजीब-केजरी

नई दिल्ली (अजय पांडेय)। उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी हुकूमत की जंग थमती नहीं दिख रही। दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष पद पर स्वाति मालीवाल की नियुक्ति का मामला अभी निपटा ही है कि टकराव की नई भूमिका तैयार हो गई है।

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ताजा मामला नए सर्किल रेट का है। सूबे की आम आदमी पार्टी की सरकार चाहती है कि कृषि योग्य भूमि के सर्किल रेट तय करने से संबंधित फाइल उपराज्यपाल जंग को नहीं भेजी जाए। राजस्व विभाग खुद ही इसकी अधिसूचना जारी कर दे। सरकार के पास इस मामले में मजबूत दलील भी है।

गेंद फिलहाल मुख्य सचिव केके शर्मा के पाले में बताई जा रही है। आपको बता दें कि शीला दीक्षित सरकार के जमाने में भी स्टांप ड्यूटी को लेकर मुख्यमंत्री दीक्षित और तत्कालीन उपराज्यपाल तेजेंद्र खन्ना के बीच मतभेद हुए थे।

खन्ना का मानना था कि शीला मंत्रिमंडल द्वारा तय किया गया सर्किल रेट ठीक नहीं है। वे उसमें परिवर्तन चाहते थे। बदले में दीक्षित ने केंद्र का दरवाजा खटखटा दिया। उस वक्त तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने चुनी हुई सरकार का पक्ष लिया था।

तत्कालीन अटार्नी जनरल ने भी केंद्र सरकार की राय का समर्थन किया था। दिल्ली की नई सरकार दिसंबर, 2010 में केंद्र सरकार द्वारा दी गई उसी व्यवस्था के तहत नए सर्किल रेट की अधिसूचना बगैर उपराज्यपाल के स्वीकृति के जारी करना चाहती है।

हालांकि, राजस्व विभाग के अधिकारी इस दलील के साथ ऐसा करने से अब तक बचते रहे हैं कि मतभेद के बावजूद शीला दीक्षित सरकार ने संबंधित फाइल उपराज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजी थी, क्योंकि यह एक वित्तीय मामला है।

उच्चपदस्थ सूत्रों ने बताया कि बीते एक महीने से यह मामला राजस्व विभाग और मुख्य सचिव कार्यालय के बीच झूल रहा है। उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी सरकार ने लगातार दूसरी बार फाइल राजस्व विभाग को अधिसूचना जारी करने के लिए भेज दी है।

दूसरी ओर विभाग के अधिकारियों ने इसे दोबारा मुख्य सचिव के पास भेज दिया है। इन अधिकारियों का मानना है कि चूंकि यह मामला राजस्व से संबंधित है, लिहाजा इसमें उपराज्यपाल की अनुमति जरूरी है।

दूसरी ओर सरकार यह मान रही है कि जब पांच साल पहले ही यह तय हो चुका है कि इस मामले में दिल्ली विधानसभा और मंत्रिमंडल की राय अहम होगी, तो ऐसे में फाइल को राजनिवास भेजे जाने का कोई तुक नहीं है।

समझा जा रहा है कि कृषि योग्य भूमि के सर्किल रेट को लेकर पैदा हुआ नया विवाद जंग और केजरी के बीच नए विवाद की वजह बन सकता है।


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