जोगिया द्वारे-द्वारे--कुछ जनता का भी कार्य कर लो साहब
जनता जब जनप्रतिनिधियों को चुनती है तो उसे भरोसा होता है कि ये हमारे सुख-दुख में साथ रहे
जनता जब जनप्रतिनिधियों को चुनती है तो उसे भरोसा होता है कि ये हमारे सुख-दुख में साथ रहेंगे। क्षेत्र के विकास में अपना योगदान देंगे। आम लोगों के जीवन स्तर को उठाने में मदद करेंगे, लेकिन नेता पार्टी कार्य में व्यस्त हैं और जनता का कार्य बाधित हो रहा है। साफ-सफाई के लिए एक वार्ड के लोग जब अपने जनप्रतिनिधि के पास जाते थे तो उनसे कहा जाता था कि जोन के चेयरमैन का चुनाव नहीं हुआ है। चेयरमैन का चुनाव होते ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। जनता उनके बहकावे में आकर अपने घर बैठ जाती। इस तरह से चुनाव के बाद एक-डेढ़ महीने का समय नेताजी ने काट लिया। अब जब लोगों ने जोन के चेयरमैन का चुनाव होने की बात सुनी तब वे फिर से अपने नेताजी के पास पहुंचने लगे। जब भी लोग उनके कार्यालय पर पहुंचते हैं तो उनसे कहा जाता है कि नेताजी पार्टी के कार्य में व्यस्त हैं। यह पूछने पर कि कहां गए हैं, तो उनसे कहा जाता है कि बवाना उपचुनाव में नेताजी की ड्यूटी पार्टी ने लगाई है। शाम को आना। जब लोग शाम को पहुंचे तो कार्यालय पर ताला लगा देखा। इसके बाद लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर चला गया। वे कार्यालय पर ही बैठ गए और कहा कि जब तक नेताजी नहीं आते तब तक यहीं बैठे रहेंगे। कुछ देर बाद नेताजी का काफिला वहां पहुंचा। नेताजी को लोगों ने घेर लिया और कहा कि मैंने आपको वोट दिया है क्षेत्र का विकास करने के लिए। हमारी समस्या का समाधान कब करेंगे। इस पर नेताजी ने कहा कि पार्टी की ओर से चुनाव में जिम्मेदारी दी गई है। पहले तो वही काम करना होगा। अब तो चुनाव के बाद ही कुछ संभव है। लोगों ने कहा कुछ कार्य जनता का भी कर लो साहब। इस पर नेताजी झेंप गए और कहा कि इस व्यस्तता के खत्म होने के बाद दिन रात वार्ड के विकास के लिए मेहनत करेंगे। लोग यह कहते निकले कि यह क्षेत्र का विकास नहीं बल्कि पार्टी का विकास करने के लिए राजनीति में आए हैं।
अब राजनीति नहीं सिर्फ करेंगे काम
एक नेता अपने विधायक के करीबी थे, लेकिन विधायक टिकट दिलवाने में कामयाब नहीं हुए तो मन में थोड़ी सी खटास आ गई। विधायक जी ने भी इसको परखा और कहा कि पार्टी में तुम्हें पोस्ट दिलाते हैं, लेकिन उसने दो टूक शब्द में कहा कि अब राजनीति नहीं सिर्फ अपना काम करेंगे। नेतागिरी के चक्कर में हम पहले ही काफी गंवा चुके हैं। हालांकि, नेताजी समय-समय पर उनको फोन कर सक्रिय राजनीति में आने को कह रहे हैं, लेकिन अभी उनकी दाल गलती नहीं दिख रही है।
प्रस्तुति- भगवान झा