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कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हो रही है ¨हदी

- भारत ही नहीं विश्व में मजबूत हो रही है ¨हदी -मनोरंजन और मीडिया की भाषा बनी ¨हदी

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Sep 2017 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 14 Sep 2017 03:00 AM (IST)
कमजोर नहीं बल्कि मजबूत हो रही है ¨हदी

अभिनव उपाध्याय,नई दिल्ली

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देश के लोगों को हमेशा शंका रहती है कि ¨हदी का वर्चस्व कम होता जा रहा है, लेकिन इसे शिक्षाविदों ने बेबुनियाद बताया। उनका दावा है कि देश ही नहीं, दुनिया में भी हिंदी बढ़ रही है। यही नहीं ¨हदी का प्रसार उन राज्यों में भी बढ़ा है जहां ¨हदी बोलने लिखने वाले कम हैं। जेएनयू में भाषा अध्ययन केंद्र में एसोसिएट प्रोफेसर गंगा सहाय मीणा का कहना है कि विश्व स्तर पर पिछले 50 वर्षो में अंग्रेजी बोलने वाले 32 करोड़ से 48 करोड़ हैं। हिंदी बोलने वाले 26 करोड़ से 42 करोड़ हैं, यानी अंग्रेजी बोलने वालों से ज्यादा तेजी से बढे़ हैं। दुनिया के सैकड़ों देशों में हिंदी की पढ़ाई होती है यही नहीं विश्व स्तर पर हिंदी की स्वीकारोक्ति भी बढ़ी है। हिंदी में बड़ा बाजार है, इसलिए मजबूरन कॉरपोरेट को भी हिंदी को अपनाना पड़ा है। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाए जाने की पुरजोर माग की जानी चाहिए।

भारतीय परिदृश्य में देखें तो हिंदी न तो पिछले दशकों में खतरे में थी और न निकट भविष्य में उसके समक्ष कोई खतरा है। आजादी के समय जो हिंदी भारत की राजभाषा बनने के लिए संघर्ष कर रही थी, आज वह भारत की सबसे बड़ी और ताकतवर भाषा के रूप में स्थापित हो चुकी है। जनगणना विभाग के आकड़ों के अनुसार जहा भारत की जनसंख्या 1971 से 2001 के बीच क्रमश: 24.66 फीसद, 23.87 फीसद और 21.54 फीसद दशकीय वृद्धि दर्ज की गई वहीं हिंदी को अपनी मातृभाषा बताने वालों की संख्या में इस बीच क्रमश: 27.12 फीसद, 27.84 फीसद और 28.08 फीसद वृद्धि हुई। 1971 में जहा हिंदी को अपनी मातृभाषा बताने वाले लगभग 20 करोड़ लोग थे, वहीं 2001 में इनकी संख्या 42 करोड़ हो गई। यानी कुल 108 फीसद की वृद्धि हुई। 2001 के बाद के आंकड़ों के बारे में डॉ.मीणा का कहना है कि सरकार ने इसे अभी अपनी वेबसाइट पर जारी नहीं किया है।

भारत में शीर्ष 10 अनुसूचित भाषाओं की स्थिति देखें। इन सभी की वृद्धि दर लगातार घट रही है। जहा हिंदी ने 1991 से 2001 के बीच 28.8 की दशकीय वृद्धि दर्ज की, वहीं बंगाली 19.79 फीसद, तेलुगु 12.10 फीसद, मराठी 15.13 फीसद, तमिल 14.68 फीसद, उर्दू 18.73 फीसद, गुजराती 13.32 फीसद, कन्नड़ 15.79 फीसद, मलयालम 8.85 फीसद और उड़िया बोलने वालों की संख्या 17.66 फीसद बढ़ी। स्पष्ट है कि हिंदी खतरे में नहीं है। हिंदी भारत की सबसे बड़ी और सर्वस्वीकृत भाषा है। अब दक्षिण में भी वैसा विरोध ¨हदी को लेकर नहीं है। आज मीडिया और मनोरंजन की भाषा हिंदी है। देश के सबसे बड़े चैनल और अखबार हिंदी के ही विज्ञापन दिखाते हैं। भारतीय जनमानस की आत्मा की भाषा ¨हदी है।


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