GDA: महकमे में 72 करोड़ का घपला, 6 अफसर सस्पेंड
इंदिरापुरम में अंडरग्राउंड केबल डालने के काम में 72 करोड़ का घपला सामने आया है। आरोप सिद्ध होने पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में पूर्व में तैनात रहे छह अफसरों को प्रमुख सचिव आवास ने सस्पेंड कर दिया है।
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। इंदिरापुरम में अंडरग्राउंड केबल डालने के काम में 72 करोड़ का घपला सामने आया है। आरोप सिद्ध होने पर गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) में पूर्व में तैनात रहे छह अफसरों को प्रमुख सचिव आवास ने सस्पेंड कर दिया है।
यह पूरी कार्रवाई जीडीए ओएसडी डीपी सिंह की जांच रिपोर्ट पर की गई है। जीडीए ओएसडी डीपी सिंह ने बताया कि वर्ष 2009-10 में इंदिरापुरम में अंडरग्राउंड केबल डालने के करीब 450 करोड़ के तीन टेंडर अलॉट किए गए थे। तीनों टेंडर जीडीए के बड़े ठेकेदार अनिल नामक शख्स की फर्म को दिए गए थे।
जांच शुरू होने तक 384 करोड़ रुपये के दो टेंडर का काम पूरा हो चुका था। इन दो टेंडर के काम की जांच की गई तो उसने भारी अनियमितताएं सामने आईं। जांच के दौरान सामने आया कि कई जगह केबल डाली ही नहीं गई थी तो कई जगह काफी पतली केबल डाल खानापूर्ति की गई थी।
अनियमितताओं का आकलन किया गया तो पूरा घोटाला 72 करोड़ रुपये का निकला। जांच के दौरान सामने आया कि जीडीए में तैनात रहे विद्युत विभाग के एई राजवीर सिंह मावी, अवर अभियंता निखिल भट्ट, अवर अभियंता अरविंद श्रीवास्तव, अवर अभियंता कमलेश दत्त पांडेय, एई अमृत पाल सिंह व एक्सईएन रामनगीना त्रिपाठी की साठगांठ से पूरा घोटाला हुआ।
आरोप सिद्ध होने पर आरोपी इंजीनियर्स का पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी किया गया। राजवीर सिंह मावी के अलावा कोई भी अपना पक्ष रखने नहीं पहुंचा। वहीं राजवीर सिंह मावी ने अपना जो पक्ष रखा, उससे संबंधित कोई भी प्रमाण पत्र वे नहीं दे पाए।
जिस वक्त घोटाला हुआ था उस वक्त राजवीर सिंह जीडीए में एई थे। वर्तमान में वह एक्सईएन हैं और उनकी तैनाती मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में हैं। जेई निखिल भट्ट वर्तमान में हापुड़ विकास प्राधिकरण व अरविंद श्रीवास्तव व जेई कमलेश दत्त पांडेय भी लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात हैं।
इसके अलावा घोटाले के वक्त जीडीए में एई के पद पर तैनात अमृत पाल सिंह एक्सईएन पद से रिटायर हो चुके हैं और राम नगीना त्रिपाठी अभी भी एक्सईएन में हैं। प्रमुख सचिव ने ठेकेदार फर्म का ब्लैक लिस्ट करने के साथ घपले की रकम वसूली के आदेश दिए हैं। ठेकेदार से 72 करोड़ की रिकवरी की जाएगी।