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लोगों की मौत का कारण बने रहे हैं ई-रिक्शा, जानें- क्या कहती है रिपोर्ट

ई-रिक्शा भले ही वातावरण के लिए बेहतर है लेकिन हादसों के मामले में यह किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में 380 लोगों की मौत ई-रिक्शा की वजह से हुई।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 23 Oct 2017 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 24 Oct 2017 07:30 AM (IST)
लोगों की मौत का कारण बने रहे हैं ई-रिक्शा, जानें- क्या कहती है रिपोर्ट
लोगों की मौत का कारण बने रहे हैं ई-रिक्शा, जानें- क्या कहती है रिपोर्ट

नई दिल्ली [जेएनएन]। बदलते वक्त में ई-रिक्शा यातायात के बेहतर विकल्प के तौर पर सामने आया है। दिल्ली -एनसीआर में जहां प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वहां ई-रिक्शा वातावरण को ध्यान में रखते हुए बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है। भले ही कई मायनों में यातायत का यह साधन उपयोगी हो लेकिन सड़क पर चलने वाले आम लोगों की जिंदगी के लिए यह खतरनाक भी है।

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380 लोगों की मौत ई-रिक्शा की वजह से हुई

सड़क दुर्घटनाओं पर आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में 380 लोगों की मौत ई-रिक्शा की वजह से हुई।इस रिपोर्ट के मुताबिक ई-रिक्शा की वजह से सबसे अधिक मौतें तेलंगाना में हुईं जहां 71 लोग मारे गए। उत्तर प्रदेश में 66, हरियाणा में 56, दिल्ली में 20 और महाराष्ट्र में 47 लोगों की मौत ई-रिक्शा की वजह से हुई। अब इस रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि ई-रिक्शा भले ही वातावरण के लिए बेहतर है लेकिन हादसों के मामले में यह किसी बड़े खतरे से कम नहीं है। 

गौरतलब है कि वर्ष 2015 में ई-रिक्शा को मोटर वाहन अधिनियम में शामिल करने के लिए एक अध्यादेश लाया गया था और बाद में इस एक्ट  में संशोधन कर दिया गया जिसके तहत ई-रिक्शा को किसी परमिट की जरूरत नहीं होती।

राज्य सरकारें कर सकती हैं कार्रवाई

यहां यह भी बता दें कि यदि राज्य सरकारें चाहें तो कानून के तहत ट्रैफिक के नियमों का उल्लंघन करने वाली ऐसी गाड़ियों पर कार्रवाई कर सकती हैं। उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त ने मार्च 2017 में आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस डिपार्टमेंट को एक आदेश भी जारी किया था, जिसके तहत ई-रिक्शा चलाने के लिए कानूनी तौर पर लाइसेंस जरुरी है। 

इस नियम के बाद नोएडा में अगर कोई ई-रिक्शा ड्राइवर नियमों का उल्लंघन करता है, तो पुलिस उसका चालान काट सकती है। नोएडा में गाइडलाइंस का पालन ना करने वाले ई-रिक्शा को जब्त भी किया जा सकता है। कई जगह ई-रिक्शा चलाने वालों के लिए जरुरी नियम बनाए गए हैं, जिसमें जुर्माने का भी प्रावधान है। इसके अलावा, इन गाड़ियों में फर्स्ट-एड बॉक्स और आग बुझाने वाले यंत्र का होना भी जरुरी हैं। भले ही नियम बने हैं लेकिन कमोबेश स्थित हर जगह एक जैसी ही है। 

भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तैयार है

वर्ष 2030 तक, भारत का सपना है कि यहां की सड़कों पर इलेक्ट्रिक वाहनों की अधिकता हो इसके लिए प्रयास भी हो रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि क्या भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पूरी तरह तैयार है। असल में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों से बात नहीं बनेगी इसे इस्तेमाल करने के लिए आधारिक संरचना की भी जरुरत है जो फिलहाल भारत में नहीं है।

यातायात व्यवस्था की कमियों को दूर करना होगा 

बता दें कि भारत में CNG को लाए हुए 15 साल से अधिक का वक्त हो चुका है। लेकिन आज भी CNG गैस भरवाने के लिए लोगों को लंबी-लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता है। इतने वर्षों में जब हम CNG के लिए ही सही तरीके का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं कर पाए तो इलेक्ट्रिक वाहनों की बात करना दूर की कौड़ी ही है। बात यहीं खत्म नहीं होती भारत की यातायात व्यवस्था में कई अन्य कमियां भी हैं जिन्हें दूर करना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। 

लोगों को भी अनुशासित करना होगा

यह भी याद रखना जरूरी है कि ई-रिक्शा को लाने से पहले दलील दी गई थी कि इससे वातावरण पर अच्छा असर पड़ेगा लेकिन उस वक्त हम ये भूल गए कि सिर्फ संसाधन लाने से कोई काम पूरा नहीं हो सकता। ऐसा वातावरण पैदा करने की जरुरत है जहां सुविधाओं का सही इस्तेमाल किया जा सके। लोगों को भी अनुशासित करना होगा।


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