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संजीव चतुर्वेदी के मुद्दे पर CIC ने आइबी को ने दिया सख्त निर्देश

सीआइसी ने कहा कि निर्धारित समय तक आइबी रिपोर्ट नहीं सौंपने पर संबंधित महकमों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीआइसी का यह आदेश कई मायनों में महत्वपूर्ण है।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 23 Apr 2016 09:42 AM (IST)Updated: Sat, 23 Apr 2016 09:57 AM (IST)
संजीव चतुर्वेदी के मुद्दे पर CIC ने आइबी को ने दिया सख्त निर्देश

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने महत्वपूर्ण फैसले में आइबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) और केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय को निर्देश दिया है कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी व एम्स के उप सचिव संजीव चतुर्वेदी के बारे में आइबी रिपोर्ट उन्हें छह मई तक सौंप दी जाए, क्योंकि यह मानवाधिकार का मामला है।

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सीआइसी ने यह भी कहा कि निर्धारित समय तक आइबी रिपोर्ट नहीं सौंपने पर संबंधित महकमों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीआइसी का यह आदेश कई मायनों में महत्वपूर्ण है। पहला यह कि आइबी की रिपोर्ट बेहद गोपनीय होती है।

साथ ही आयोग ने अपने फैसले में कड़ी टिप्पणी करते कहा है कि भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने पर ईमानदार अधिकारियों को दंडित नहीं किया जा सकता। आयोग ने अपने फैसले में कहा है कि संजीव को परेशान करने के मामले में चार बार राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना पड़ा।

राष्ट्रपति ने दो बार संजीव के खिलाफ जारी विभागीय चार्जशीट को रद तो कराया ही उनका निलंबन भी रद किया। भ्रष्टाचार के मामलों पर ज्यादातर अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। अधिकारियों की यह चुप्पी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है और ईमानदारी शर्मिदा होती है। संजीव इसके अपवाद हैं।

संविधान केंद्र व राज्य सरकारों को यह दायित्व देता है कि ईमानदार अधिकारियों का हौसला बढ़ाए। यदि वे ऐसा करते तो अधिकारियों को न्याय के लिए न्यायाधिकरण व अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटाना पड़ता।

पेश मामले में संजीव ने सीआइसी में आवेदन दायर कर कहा था कि आइबी ने पहले उनके बारे में एक रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने आयोग से सूचना के अधिकार कानून के तहत वह रिपोर्ट दिलाने की मांग की थी, जबकि आइबी और केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय का कहना था कि आइबी की रिपोर्ट गोपनीय होती है।

साथ ही आइबी सूचना के अधिकार कानून के तहत नहीं आता। इस मामले में पहले आयोग ने यह साफ कर दिया था कि संजीव के बारे में तैयार आइबी रिपोर्ट मानवाधिकार व भ्रष्टाचार से संबंधित हैं, इसलिए वह रिपोर्ट सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आता है। इसलिए आइबी व केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय को आइबी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देते हुए दोनों महकमों के सूचना अधिकारियों को नोटिस जारी किया था।

इस मामले पर अंतिम सुनवाई करने के बाद केंद्रीय सूचना आयोग ने आइबी रिपोर्ट सौंपने की तारीख तय कर दी और कहा कि आदेश का पालन नहीं होने पर कार्रवाई होगी।


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