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दिल्ली HC: भारत मे facebook व व्हाट्स एप के भविष्य का फैसला हम करेंगे

फेसबुक के संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग बुधवार को जहां IIT दिल्ली में छात्रों के सवालों का जवाब दे रहे थे, वहीं हाई कोर्ट में केद्र सरकार फेसबुक, यू-ट्यूब व व्हाट्स एप आदि सोशल साइट्स से जुड़े मामले मे धराशायी नजर आई।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2015 08:05 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2015 10:51 AM (IST)

नई दिल्ली। फेसबुक के संस्थापक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग बुधवार को जहां IIT दिल्ली में छात्रों के सवालों का जवाब दे रहे थे, वहीं हाई कोर्ट में केद्र सरकार फेसबुक, यू-ट्यूब व व्हाट्स एप आदि सोशल साइट्स से जुड़े मामले मे धराशायी नजर आई।

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अदालत इन साइट्स पर कुछ भी सामग्री अपलोड होने के बाद वेबसाइट को बिना रॉयल्टी दिए उसका बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) मिल जाने संबंधी मामले में सुनवाई कर रही थी।

न्यायमूर्ति बीडी अहमद व संजीव सचदेव की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई शुरू होते ही फेसबुक ने केंद्र सरकार के साथ करार की प्रति अदालत को सौंपी। अदालत ने कहा कि फेसबुक की प्रति व केंद्र सरकार के हलफनामे में काफी अंतर है। फेसबुक के वकील ने बताया कि सोशल साइट्स का अनुबंध समय-समय पर बदलता रहता है। उन्होंने नवीनतम अनुबंध जमा किया है, इसलिए यह अंतर है।

अदालत ने फेसबुक द्वारा दिए गए अनुबंध को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उसने केंद्र सरकार से अनुबंध की प्रति मांगी थी, उससे नहीं। उसके दिए अनुबंध के अक्षर काफी छोटे हैं जो पढ़ने योग्य नहीं हैं। अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा अनुबंध की प्रति न देने पर नाराजगी जताई।

याचिकाकर्ता के वकील विराग गुप्ता ने अदालत में कहा कि सरकार का इन साइट्स से जो अनुबंध है, वह गैर कानूनी है। इन साइट्स पर कुछ भी सामग्री अपलोड होने के बाद वेबसाइट को बिना रॉयल्टी दिए उसका बौद्धिक संपदा अधिकार (आइपीआर) मिल जाता है। इस सामग्री का विदेशी कंपनियां फायदा उठाती हैं। वह इस सामग्री का व्यावसायिक इस्तेमाल करती हैं, जिस पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।

उन्होंने कहा यह सीधे तौर पर आइटी एक्ट 43ए का उल्लंघन है। जो अनुबंध फेसबुक के साथ किया गया है, उसकी मूल प्रति सरकार के पास नहीं है। इस पर अदालत ने कहा कि वह यहां हाई कोर्ट है और भारत में फेसबुक के बारे में सभी पक्षों को सुनने के बाद उचित फैसला लेगी। वह फेसबुक, यू-टयूब व व्हाट्स एप के कानूनी पहलू पर एक हफ्ते में रिपोर्ट तैयार कर दें।

खंडपीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह फेसबुक, यू-टयूब व व्हाट्स एप तीनो के साथ अनुबंध के बारे में अलग-अलग जानकारी दे। दो हफ्ते में हलफनामा दायर करे। मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।

इससे पूर्व केंद्र सरकार की तरफ से अधिवक्ता संजय जैन ने कहा था कि सरकार ने इन वेबसाइट के साथ विशेष अनुबंध नहीं किया, जो अनुबंध अन्य देश करते हैं वही सरकार ने किया है। पेश मामले मे भाजपा नेता केएन गोविंदाचार्य ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में प्रधानमंत्री कार्यालय समेत अन्य मंत्रालयों के सोशल मीडिया के उपयोग पर आपत्ति जताई गई है। मंत्रालयों ने इन साइट्स के उपयोग की अनुमति नहीं ली है।


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