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डीजल टैक्सी बैनः हालात से निपटने का SC में खाका पेश करेंगा केंद्र

सॉलिसिटर जनरल ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा था कि यह बीपीओ कर्मियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 09 May 2016 07:21 AM (IST)Updated: Mon, 09 May 2016 08:34 AM (IST)

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की सड़कों से डीजल टैक्सियों पर पाबंदी में राहत की अर्जी लेकर केजरीवाल सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच गई है। इस पर आज सुनवाई होगी।

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डीजल टैक्सी बैन पर केंद्र ने SC में कहा- 'BPO उद्योग पर पड़ा असर'

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली के डीज़ल टैक्सी ऑपरेटरों को राहत देने की मांग की है। वहीं दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट को राजधानी से डीज़ल टैक्सियों को चरणबद्ध तरीके हटाए जाने का रोड मैप बताएगी।

पिछली सुनवाई में यानी 6 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि डीजल टैक्सी बैन से बीपीओ कॉॉल सेंटर बिजनेस उद्योगग ठप हो जाएगा। ऐसे में इस उद्योग को बचाने की खातिर डीजल टैक्सियों पर बैन में ढील दी जाए।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ से कहा कि डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध से बीपीओ उद्योग प्रभावित होंगे। डीजल टैक्सियों का उपयोग कर्मियों को लाने ले जाने के लिए किया जाता है। यह अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।

सॉलिसिटर जनरल ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि केंद्र सरकार इस मुददे पर जल्द ही एक आवेदन दायर करेगी, क्योंकि यह बीपीओ कर्मियों की सुरक्षा से भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि बीपीओ कर्मियों को होने वाली असुविधा के चलते कंपनियां देश से बाहर जा सकती हैं।

यह सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। इस पर अदालत ने सवाल किया कि बीपीओ कंपनियां कर्मियों को लाने ले जाने के लिए बसों की सेवाएं क्यों नहीं ले सकतीं?

इस बीच, पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) ने अदालत को सूचित किया कि वह डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध से उत्पन्न स्थिति पर दिल्ली सरकार के साथ चर्चा कर रहा है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील से कहा कि वह इस मुद्दे पर खाका पेश करे, जिसपर आज सुनवाई होगी।


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