रेलवे की नाक के नीचे ऑनलाइन पोर्टल पहुंचा रहे ट्रेनों में खाना
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली रेल यात्रियों को खाना मुहैया कराने की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारतीय रेलवे
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली
रेल यात्रियों को खाना मुहैया कराने की जिम्मेदारी पूरी तरह से भारतीय रेलवे कैट¨रग और पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) की है, लेकिन प्रशासन की नाक के नीचे निजी पोर्टल ट्रेन में खाना व स्नैक्स मुहैया करा रहे हैं। रेलवे इन पोर्टल के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाया है। आइआरसीटीसी ने अब साकेत जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
अतिरिक्त वरिष्ठ सिविल जज पूजा तलवार ने याचिका पर आइआरसीटीसी का पक्ष सुनने के बाद ऑनलाइन बुकिंग लेने वाले पोर्टल ट्रैवलर फूड को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। वकील विवेक कादयान ने मंगलवार को आइआरसीटीसी की तरफ से प्रतिनिधित्व करते हुए तत्काल पोर्टल को बंद करने की मांग की थी, लेकिन अदालत ने ऐसा करने से पूर्व कंपनी का पक्ष सुनने की बात कही। मामले की अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि अगर कोई वेबसाइट ऑनलाइन बुकिंग लेकर खाना मुहैया करा रही है, तो इसमें बुराई क्या है। यह तो अच्छी पहल है। रेलवे की तरफ से जवाब दिया गया कि घटिया खाने की शिकायतों को देखते हुए ही भारतीय रेलवे ने वर्ष 1999 में आइआरसीटीसी का गठन किया था। इसके बाद खाने की गुणवत्ता सुधरी। ट्रेन व स्टेशन परिसर में उपलब्ध कराया जा रहा खाना गुणवत्ता मानकों पर खरा उतरता है, लेकिन बाहरी वेबसाइट द्वारा दिए जा रहे खाने की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें मिल रही हैं। उक्त पोर्टल को आइआरसीटीसी से लाइसेंस लेकर खाना बेचने के लिए कहा गया, लेकिन उसने ऐसा करने से मना कर दिया। रेलवे स्टेशनों पर बिना इजाजत के बाहरी शख्स के सामान बेचने पर प्रतिबंध है। कंपनी के इस कृत्य से रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है। खराब खाना सवारियों को मिलने से उसकी प्रतिष्ठा भी दाव पर लगी है।
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नजदीकी ढाबों से लेते हैं सस्ता खाना
अदालत को बताया गया कि ऑनलाइन पोर्टल ट्रेन में मौजूद यात्रियों से सीट व बोगी नंबर की जानकारी ले लेते हैं। उन्हें बता दिया जाता है कि कितनी देर में ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुंचेगी। पोर्टल स्टेशन के पास मौजूद ढाबों से संपर्क कर उनकी मदद से स्टेशन पर यात्रियों की सीट पर जाकर खाना मुहैया करा देते हैं। लोगों को ऑनलाइन पेमेंट और कैश ऑन डिलीवरी की सुविधा दी जाती है।