एक तरफ शोधित जल हो रहा बर्बाद दूसरी ओर शोधन की व्यवस्था नहीं
सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली : पूर्वी दिल्ली के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों का लाखों लीटर अवजल शोधित होक
सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली :
पूर्वी दिल्ली के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों का लाखों लीटर अवजल शोधित होकर बर्बाद हो रहा है। वहीं, अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों में जल शोधन की व्यवस्था ही नहीं है। जिससे औद्योगिक कचरे सहित अवजल नालों में बह जाता है, जो अंतत: यमुना नदी को और प्रदूषित कर रहा है।
पूर्वी दिल्ली में सात औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां पर सिर्फ एक सीईटीपी (कॉमन इफ्ल्येंट ट्रीटमेंट प्लांट) है। अधिकतर औद्योगिक क्षेत्रों में ट्रीटमेंट प्लांट ही नहीं है। इसके अलावा जो प्लांट मौजूद है उसका भी सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। यहां से जो अवजल शोधित हो रहा है उसका कुछ ही हिस्सा उपयोग में आ रहा है। जबकि इसका उपयोग पौधों की ¨सचाई में किया जा सकता है। झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2005 से सीईटीपी प्लांट है। इसकी क्षमता रोजाना एक करोड़ 60 लाख लीटर अवजल शोधित करने की है, लेकिन 50 लाख लीटर अवजल ही शोधित हो रहा है। यहां से शोधित जल को फिर से सीवर में डाल दिया जाता है। पिछले एक साल से लोक निर्माण विभाग द्वारा रोजाना एक लाख लीटर पानी का उपयोग सड़क किनारे लगे पौधों की ¨सचाई में किया जा रहा है लेकिन 49 लाख लीटर पानी बर्बाद हो रहा है।
पूर्वी दिल्ली के बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र है। लेकिन यहां पर सीईटीपी प्लांट नहीं है। यहां के अवजल को शोधित करने के लिए झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र में भेजा जा सकता है। लेकिन इसके लिए पांच किलोमीटर लंबी पाइप लाइन डालनी होगी। सरकारी स्तर पर इसके लिए प्रयास ही नहीं हुए हैं। यही कारण है कि औद्योगिक कचरे से युक्त अवजल नाले में बह रहा है। इसके अलावा मंडोली, करावलनगर और जवाहर नगर औद्योगिक क्षेत्र रि-डेवलपमेंट स्कीम के तहत स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्र हैं लेकिन अभी यहां प्लांट तो दूर अन्य सुविधाओं को लेकर भी कार्य नहीं किया गया है। इसके अलावा कई अन्य इलाकों में भी अवैध रूप से फैक्ट्रियां चल रही हैं, इन फैक्ट्रियों से निकलने वाले औद्योगिक कचरा युक्त जल को शोधित करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
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झिलमिल स्थित सीईटीपी प्लांट से निकलने वाले शोधित जल का उपयोग बेहतर तरीके से किया जा सकता है। सरकार को कई बार इसका प्रस्ताव भी भेजा है। औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले पानी को शोधित कर बेहतर इस्तेमाल किया जाए तो भूमिगत जल और पेयजल की बर्बादी को रोका जा सकता है। लोक निर्माण विभाग ने पिछले साल से शोधित जल के कुछ हिस्से का उपयोग शुरू किया है जो सराहनीय है।
डॉ. अनिल गुप्ता, चेयरमैन, झिलमिल-फ्रेंड्स कॉलोनी औद्योगिक क्षेत्र सीईटीपी सोसायटी।
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पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र में सीईटीपी प्लांट लगाने की मांग वर्षों से की जा रही है। लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। इसके अलावा यहां के पानी को झिलमिल भेजने की योजना का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया। अब यहां इंटरसेप्टर सीवर लाइन डालने की योजना बन गई है। जिससे इस औद्योगिक क्षेत्र का अवजल इंटरसेप्टर सीवर लाइन के माध्यम से कोंडली सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा। इसके चालू होने के बाद औद्योगिक क्षेत्र का पानी सीधे नाले में नहीं डाला जाएगा।
एसके माहेश्वरी, महासचिव, पटपड़गंज औद्योगिक क्षेत्र