भाजपाई पार्षदों को अब भी है टिकट की आस
विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली : मौजूदा पार्षदों को टिकट न देने के भाजपा के फैसले के बावजूद भी कुछ में ट
विजयालक्ष्मी, नई दिल्ली :
मौजूदा पार्षदों को टिकट न देने के भाजपा के फैसले के बावजूद भी कुछ में टिकट मिलने की उम्मीद अब भी बरकरार है। पार्षदों के मुताबिक सूरत मॉडल के तहत भी कुछ पार्षदों को टिकट दी गई थी। इसलिए दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भी कुछ लोगों को टिकट दिया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो पार्टी के टिकट देने के क्या आधार हो सकते हैं? इस पर पार्षदों में बहस भी छिड़ गई है। पार्षद अब कयास लगा रहे हैं कि अगर कुछ सीटों पर पार्षदों को टिकट दिया गया तो वे कौन कौन हो सकते हैं।
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के पार्षद पार्टी के फैसले से इतने दुखी हैं कि वे अपने आला नेताओं के पास जा रहे हैं। वहीं, कुछ लोग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दफ्तर के भी चक्कर काट रहे हैं। एक पार्षद ने बताया कि परिसीमन और आरक्षण के आधार पर सीटों की घोषणा के होने के बाद ऐसे करीब 50-60 ही पार्षद बचते हैं जो इस बार दोबारा चुनाव लड़ सकते थे। ऐसे में उन्हें उम्मीद हैं कि इनमें से 30 पार्षदों को दोबारा मौका मिल सकता है।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक पार्षद ने बताया कि पार्षदों ने अपनी बात आला नेताओं के दरबार में कही है। उन्हें उम्मीद है कि इस संबंध में वे केन्द्र स्तर पर पार्षदों का दर्द रखेंगे। कुछ पार्षदों का कहना है कि पार्टी मौजूदा पार्षदों के साथ नाइंसाफी नहीं कर सकती। उनके मुताबिक इस फैसले के बाद कई राजनीतिक पार्टियां नाराज पार्षदों के संपर्क में हैं। पार्षद का कहना है कि तीनों नगर निगमों में कुल 272 सीटों में से 154 सीटें भाजपा के पास हैं। वहीं, 100 के करीब कांग्रेस के हैं। सत्ता विरोधी लहर तो उनके खिलाफ भी हो सकती है, लेकिन उनकी पार्टी ने तो ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।