500 करोड़ मिले पर नहीं सुधरा प्रदूषण का स्तर
नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली पिछले एक वर्ष में ही पर्यावरण शुल्क के रूप में दिल्ली सरकार के परिवहन विभा
नवीन गौतम, बाहरी दिल्ली
पिछले एक वर्ष में ही पर्यावरण शुल्क के रूप में दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को करोड़ों रुपये तो मिले लेकिन प्रदूषण के स्तर में सुधार के लिए बृहद प्रयास नहीं किए गए। करोड़ों रुपये की इस राशि का इस्तेमाल राजधानी के पर्यावरण के हित में होना था। अदालत ने इसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को सौंपी। मगर परिवहन विभाग ने प्रदूषण रोकने की किसी ठोस योजना पर इस राशि को खर्च किया हो वह दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए नहीं लगता।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 9 अक्टूबर, 2015 से दिल्ली में आने वाले कमर्शियल वाहनों से पर्यावरण शुल्क लिया जा रहा है। दिल्ली में प्रवेश करने वाले सभी 124 नाकों, पोस्ट या टोल प्लाजा पर यह शुल्क एकत्रित किया जा रहा है। इस टैक्स को वसूलने की जिम्मेदारी नगर निगम के टोल कांट्रेक्टर की है। इस राशि को नगर निगम इसे दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को दे देता है। अदालत ने दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग को नोडल एजेंसी के तौर पर नियुक्त किया गया है। कार्यालय निदेशक स्थायी निकाय टोल टैक्स (पथकर विभाग) के जन सूचना अधिकारी तारेश कुमार के मुताबिक 9 अक्टूबर 2015 से आठ दिसंबर 2016 तक 485,13,77,800 रुपये पर्यावरण शुल्क के रूप में एकत्रित हुए जिसे दिल्ली सरकार को भेज दी गई। इस वर्ष जनवरी के पहले सप्ताह तक यह आंकड़ा पांच अरब को भी पार गया। इस राशि का इस्तेमाल परिवहन विभाग कहां कर रहा है, इस सवाल का जवाब जानने के लिए दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री सत्येन्द्र जैन से संपर्क करने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
यह हैं पर्यावरण शुल्क की दरें
-भरे हुए टू एक्सल ट्रक से 1400 रुपये प्रति प्रवेश
-भरे हुए 4 एक्सल ट्रक से 2600 रुपये प्रति प्रवेश
-खाली प्रवेश करने वाले टू एक्सल ट्रक से 700 रुपये प्रति प्रवेश
- खाली प्रवेश करने वाले 4 एक्सल ट्रक से 1300 रुपये प्रति प्रवेश
प्रदूषण का स्तर
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिसंबर 2015 एवं जनवरी 2016 में प्रदूषण के आंकड़े जारी करते हुए आनंद विहार, पंजाबी बाग, आर.के.पुरम, पीतमपुरा आदि इलाकों में सबसे अधिक वायु प्रदूषित होने की बात कही थी। बोर्ड के अनुसार इन इलाकों सहित राजधानी में पीएम 2.5 का सामान्य स्तर 60 से करीब दस गुना ज्यादा था। इसी प्रकार पीएम 10 का स्तर भी सामान्य स्तर 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर से दस से चौदह गुना अधिक था। बीते वर्ष में सात नवंबर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी आंकडों के अनुसार राजधानी में पीएम 10 का स्तर सामान्य से तेरह गुना ज्यादा और पीएम 2.5 का स्तर सामान्य से चौदह गुना ज्यादा था। इसी प्रकार की स्थिति बीते वर्ष 25 दिसंबर को जारी किए गए आंकड़ों में भी सामने आई।