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सावन में शिव आराधना का विशेष महत्व

सावन में शिव आराधना का विशेष महत्व है। इस माह में भगवान शिव की यथोपचार पूजा व अमर कथा का पाठ करने या

By Edited By: Published: Sat, 30 Jul 2016 05:56 PM (IST)Updated: Sat, 30 Jul 2016 05:56 PM (IST)

सावन में शिव आराधना का विशेष महत्व है। इस माह में भगवान शिव की यथोपचार पूजा व अमर कथा का पाठ करने या सुनने पर लौकिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इनमें पारिवारिक कलह, अशांति, आर्थिक हानि और

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काल सर्प योग से आने वाली बाधा शामिल है। इस प्रकार सावन में शिव पूजा से ग्रह बाधाओं और परेशानियों का अंत होता है। ऐसा माना जाता है कि जब सारे देवता सावन में शयन करते हैं तो भोलेनाथ का अपने भक्तों के प्रति प्रेम जागृत हो जाता है।

कांवड़ का जल 12 ज्योर्ति¨लगों व स्वयंभू शिव¨लगों के अलावा अपने आवास के नजदीक के शिव मंदिरों में ही चढ़ाया जाता है। पांच प्रकार की होती है कांवड़-बैठी कांवड़, खड़ी कांवड़, दंडौती कांवड़, मन्नौती कांवड़ व डाक कांवड़।

शिव से संबंधित आयोजनों में व्रत , उपवास और तपस्या का ही महात्म्य है। सावन निराकार शिव की आराधना का महीना है। कहते हैं कि देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु देवताओं समेत चार माह के लिए सोने चले जाते हैं। इस दौरान वे सृष्टि को पालने का काम भोले शंकर को सौंप देते हैं। चातुर्मास शुरू होते ही पर्वो और त्योहारों की झड़ी लग जाती है। इसकी शुरुआत सावन में शिव की आराधना से होती है।

सावन और सोमवार का शिव की उपासना से अटूट संबंध है।

मानव जीवन में प्रकृति का कल्याणकारी रूप भोजन, वायु, जल और प्राकृतिक सौंदर्य के साथ अनेक रूपों में तन-मन को पोषण देता है। शिव की उपासना में जल, फूल, पत्र और फल के चढ़ावे का विशेष महत्व है। शिव का पूजन ¨लग रूप में

ज्यादा फलदायक माना गया है।

कांवड़ यात्रा शिव भक्ति का एक रास्ता तो है ही, साथ ही यह हमारे व्यक्तिगत विकास में भी सहायक है। यही वजह है कि सावन में लाखों श्रद्धालु कांवड़ में पवित्र जल लेकर एक स्थान से लेकर दूसरे स्थान

जाकर शिव¨लगों का जलाभिषेक करते हैं। शिव भूतनाथ, पशुपतिनाथ व अमरनाथ आदि सब रूपों में कहीं न कहीं जल, मिट्टी, रेत, शिला, फल व पेड़ के रूप में पूज्यनीय हैं। जल

साक्षात् शिव है तो जल के ही जमे रूप में अमरनाथ हैं। बेल

शिव वृक्ष है तो मिट्टी में पार्थिव ¨लग है। गंगाजल, पारद, पाषाण, धतूरा फल आदि सब में शिव सत्ता मानी गई है।

अत: सब प्राणियों जड़-जंगम पदार्थो में स्वयं भूतनाथ, पशुपतिनाथ की सुगमता और सुलभता ही तो देवाधिदेव महादेव को सिद्ध करते हैं।

-सुरेंद्र वशिष्ठ, प्रमुख आराधक,

पंसाली धाम, रोहिणी, दिल्ली।


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