अलग-अलग टीमें देती थीं काम को अंजाम
जासं, दक्षिणी दिल्ली : दिल्ली के ठग छत्तीसगढ़ के लोगों को निशाना बनाते थे। मोबाइल टावर लगाने के नाम
जासं, दक्षिणी दिल्ली : दिल्ली के ठग छत्तीसगढ़ के लोगों को निशाना बनाते थे। मोबाइल टावर लगाने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का काम बंटा हुआ था। एक टीम सिर्फ एक काम करती थी। प्रत्येक टीम में एक टीम लीडर होता था और दूसरे टीम के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं होती थी। टीम के सदस्य फर्जी दस्तावेज पर बैंक खाते व एटीएम खुलवाते थे। प्रत्येक कार्य के लिए सदस्यों को 2 हजार रुपये दिए जाते थे। वहीं, फर्जी नाम व पते पर लिए गए अलग-अलग फोन नंबर से पीड़ितों से बात की जाती थी। पुलिस के बचने के लिए गिरोह के सदस्य लोगों द्वार भेजे गए रुपए हरियाणा और उत्तर प्रदेश स्थित एटीएम सेंटर से निकालते थे।
विज्ञापन देकर लोगों को फंसाते थे जाल में
ठग गिरोह छत्तीसगढ़ के स्थानीय मीडिया में मोबाइल टावर लगाने के लिए विज्ञापन देता था। वे घर की छत पर टावर लगवाने पर लोगों को प्रतिमाह 70 हजार रुपये तक कमाने का झांसा देते थे। झांसे में आए लोगों से गिरोह के सदस्य अपने दिए खाता नंबर पर चरणबद्ध तरीके से फाइलिंग चार्ज, सर्विस टैक्स व सेक्यूरिटी मनी के तौर पर 61 हजार रुपये मंगा लेते थे। बाद में उनसे संपर्क खत्म कर लिया जाता था।