आयुर्वेदिक व यूनानी डॉक्टर नहीं दे सकेंगे आधुनिक दवाएं: अदालत
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भारतीय चिकि
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली:
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि भारतीय चिकित्सा के तहत (भारतीय सिस्टम ऑफ मेडिसिन) जैसे आयुर्वेद व यूनानी में डॉक्टरी करने वाले चिकित्सक किसी भी प्रकार से आधुनिक वैज्ञानिक प्रणाली में प्रैक्टिस नहीं कर सकते। न ही वे चिकित्सा के रूप में एलोपैथिक दवाएं लिख सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी व न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ की खंडपीठ ने कहा कि आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा प्रणाली में योग्य न होने वाले व्यक्ति को यदि इस प्रकार से पै्रक्टिस की इजाजत दी गई तो यह आम लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होगा।
हाई कोर्ट में यह याचिका दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) द्वारा लगाई गई थी। जिसमें कहा गया कि डीएमए एलोपैथिक चिकित्सा प्रणाली के तहत प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से पंजीकृत संस्था है। राजधानी में भारतीय चिकित्सा के तहत पैक्टिस करने वाले डॉक्टर एलोपैथिक दवाएं लिख रहे हैं, जो गैर कानूनी है। इससे आम लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाला जा रहा है। दिल्ली भारतीय चिकित्सा परिषद (डीबीसीपी) गलत तरीके से यह परिभाषित कर रहा है कि उसके सदस्य एलोपैथिक दवाएं लिख सकते हैं। डीएमए ने एमसीए की समकक्ष संस्था भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (सीसीआईएम) द्वारा वर्ष 2004 में जारी उस अधिसूचना को भी चुनौती दी थी जिसमें भारतीय चिकित्सा के तहत पै्रक्टिस करने वालों को समान अधिकार दिए गए थे।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि डीबीसीपी अधिनियम के तहत एकीकृत चिकित्सा में योग्यता होने पर रेडियोलॉजी रिपोर्ट, एक्स-रे, पूर्ण रक्त पिक्चर की रिपोर्ट, लिपिड रिपोर्ट, ईसीजी इत्यादि का प्रयोग यानि भारतीय चिकित्सा प्रणाली के तहत इस्तेमाल कर सकते हैं।