'विक्स जैसी दवाओं पर प्रतिबंध से पहले सरकार ने नहीं की जांच'
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विक्स, कफ सिरप जैसी 344 दवाओं को सेहत के लिए
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विक्स, कफ सिरप जैसी 344 दवाओं को सेहत के लिए हानिकारक बताते हुए प्रतिबंध लगाने पर हाई कोर्ट पहुंची दवा कंपनियों ने दलील दी है कि सरकार का यह निर्णय चिकित्सीय आंकड़ों पर आधारित नहीं है। सरकार ने निश्चित खुराक कांबिनेशन (एफडीसी) की इन दवाओं पर प्रतिबंध से पहले जांच पड़ताल नहीं की है।
सरकार के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में करीब 150 याचिकाएं लगाई गई हैं। न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला की पीठ इन पर सुनवाई कर रही है। कोरेक्स कफ सिरप बनाने वाली कंपनी पफिजर की तरफ से मंगलवार को पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार ने बेतुका तर्क दिया है कि उक्त दवाएं सेहत के लिए हानिकारक हैं और सुरक्षित विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं। सरकार ने 344 एफडीसी दवाओं पर अचानक बिना किसी चिकित्सीय आंकड़े के प्रतिबंध लगा दिया है। मरीज की जरूरत के मुताबिक सुरक्षित खुराक की दवा उपलब्ध है। कोई कंपनी किसी व्यक्ति को असुरक्षित देवा नहीं देना चाहेगी। कई दवाएं 20 से 30 साल से से बाजार में हैं।
पीठ के समक्ष कहा गया कि अगर राज्य स्तर पर अवैध तरीके से इन कंपनियों को लाइसेंस जारी किए गए थे तो केंद्र सरकार अबतक चुप क्यों रही। अगर सरकार लाइसेंस वापस लेना चाहती थी तो कानून के मुताबिक ऐसा किया जाना चाहिए था। जिस एक्सपर्ट पैनल ने अपनी रिपोर्ट में उक्त 344 दवाओं की चकित्सीय क्षमता पर सवाल उठाए हैं, वह वैधानिक नहीं है। ड्रग एंड कॉसमेटिक एक्ट के अंतर्गत बनाए गए पैनल को ही इस तरह का निर्णय लेने का अधिकार है। अदालत में करीब डेढ़ घंटे तक कंपनियों की तरफ से दलीलें दी गई। समय के अभाव में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। बुधवार को सरकार की तरफ से दलील दी जाएगी।
दवा कंपनियों ने याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय के नोटिफिकेशन में यह स्पष्ट तौर पर नहीं बताया गया कि उसने कौन सी एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट में उक्त दवाओं को सेहत के लिए हानिकारक बताया गया। केवल इतना बताया गया है कि सरकार एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट है।