नेता कर रहे मौज, कैसे बनेगी भाजपा की फौज
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना कर चुकी भाजपा को फिर से
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना कर चुकी भाजपा को फिर से मजबूत करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली में 30 हजार प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की फौज तैयार करने की योजना तो बना ली, लेकिन इसे पूरा करना आसान नहीं है। क्योंकि, इसके लिए जमीनी स्तर पर मजबूती से काम नहीं हो रहा है। प्रशिक्षण के लिए कार्यकर्ताओं में भी उत्साह नहीं दिख रहा है। जिससे तय समयसीमा में लक्ष्य पूरा करना कठिन हो गया है।
दिल्ली में जनाधार बढ़ाने के लिए भाजपा योजनाएं तो बहुत बनाती है, लेकिन इस पर ईमानदारी से अमल नहीं होता है। यही कारण है कि सदस्यता अभियान और महासंपर्क अभियान फ्लॉप रहा और अब कार्यकर्ता प्रशिक्षण अभियान के नाम पर भी सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। न तो इसमें नेता दिलचस्पी ले रहे हैं और न कार्यकर्ताओं में कोई उत्साह है। इसे देखते हुए नहीं लगता है कि अक्टूबर में दिल्ली में भाजपा के 30 हजार प्रशिक्षित कार्यकर्ता तैयार हो पाएंगे। दरअसल, विधानसभा चुनाव में हुई शर्मनाक हार के बाद से भाजपा नेतृत्व की चिंता बढ़ गई है। उसे लगता है कि यदि संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए शीघ्र कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले समय में चुनौती और बढ़ेगी। इसलिए पार्टी ने दिल्ली में प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं को तैयार करने का फैसला किया है, जो कि लोगों के बीच जाकर भाजपा की नीतियों के बारे में सही जानकारी देकर उन्हें पार्टी के साथ जोड़ सकें। इसके लिए अगस्त में दिल्ली के पल्ला गांव में दो दिवसीय प्रशिक्षण अभियान शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें राज्य के 150 प्रमुख नेता शामिल हुए थे। इसके बाद पिछले महीने एक और शिविर लगाकर अभियान को आगे बढ़ाने के लिए प्रशिक्षक तैयार किए गए थे, लेकिन इसके बाद से इसमें तेजी नहीं दिखाई जा रही है। दिल्ली में भाजपा के 14 संगठनात्मक जिले और 280 मंडल हैं। इस तरह से अक्टूबर में 294 प्रशिक्षण शिविर आयोजित होने चाहिए, लेकिन अभी तक मात्र 50 शिविर ही आयोजित हुए हैं। वहीं, शिविर में औसतन 50-60 कार्यकर्ता ही शामिल हो रहे हैं। इनमें से भी अधिकांश रात के समय शिविर में ठहरने को तैयार नहीं हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से दिए जा रहे कार्यक्रमों को लेकर कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं होना चिंता का विषय है। इसके लिए कहीं न कहीं पार्टी में गुटबाजी भी जिम्मेदार है। नेता कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने में सफल नहीं हो रहे हैं। यही कारण है कि मिस कॉल देकर 35 लाख सदस्य बनाने का दावा करने वाली दिल्ली भाजपा एक चौथाई नए सदस्यों से भी संपर्क नहीं कर सकी है। वर्ष 1998 के बाद से भाजपा दिल्ली की सत्ता से दूर है। वहीं, अब आम आदमी पार्टी के उदय से यहां का सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल चुका है। इसलिए पार्टी को अपना जनाधार बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित व समर्पित कार्यकर्ताओं की जरूरत है, लेकिन, इसके लिए जिस गंभीरता से प्रयास होना चाहिए वह नहीं हो रहा है।