LG v/s CM : नजीब जंग की मंजूरी के बिना ही बढ़ा दिया वाहनों का पंजीकरण शुल्क
दिल्ली में अब किसी भी कंपनी या फर्म के नाम पर वाहनों की खरीदारी महंगी पड़ेगी। दरअसल, दिल्ली सरकार ने ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर 25 फीसद अतिरिक्त कर (पंजीकरण शुल्क) लगाने का फैसला किया है।
नई दिल्ली (आशुतोष झा)। दिल्ली में अब किसी भी कंपनी या फर्म के नाम पर वाहनों की खरीदारी महंगी पड़ेगी। दरअसल, दिल्ली सरकार ने ऐसे वाहनों के पंजीकरण पर 25 फीसद अतिरिक्त कर (पंजीकरण शुल्क) लगाने का फैसला किया है।
यह अलग बात है कि परिवहन विभाग के इस फैसले को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच छिड़ी सियासी लड़ाई एक बार फिर तूल पकड़ सकती है।
परिवहन विभाग के विशेष सचिव कुलदीप गांगर ने वाहनों की खरीद पर पंजीकरण शुल्क में 25 फीसद अतिरिक्त शुल्क लगाने संबंधी अधिसूचना जारी कर दी है। यह अधिसूचना उपराज्यपाल (एलजी) के नाम से जारी की गई है, जबकि राजनिवास (उपराज्यपाल कार्यालय) का कहना है कि सरकार द्वारा ऐसा कोई भी फैसला लिए जाने की मंजूरी उपराज्यपाल से नहीं ली गई है।
सूत्रों का भी कहना है कि परिवहन विभाग के इस एकतरफा निर्णय में राजनिवास की सहमति नहीं है। परिवहन विभाग द्वारा जारी अधिसूचना बृहस्पतिवार से लागू होगी। बताया जाता है कि सरकार ने कर बढ़ाने का फैसला वाहनों की संख्या में कमी लाने और सरकारी खजाना भरने के इरादे से किया है।
हालांकि, परिवहन विभाग द्वारा लिए गए इस फैसले पर राजनिवास द्वारा दर्ज कराई गई आपत्ति के बाद बड़ा सवाल यह हो गया है कि क्या राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के बाद अतिरिक्त पंजीकरण शुल्क की वसूली संभव हो पाएगी।
उधर, परिवहन विभाग के उच्चाधिकारी मान रहे हैं कि सरकार का फैसला पूरी तरह कानून सम्मत है। सभी जरूरी स्वीकृति हासिल करने के बाद ही अधिसूचना जारी की गई है। कुछ ऐसा ही विवाद तब खड़ा हुआ था, जब दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष पद पर स्वाति मालीवाल की नियुक्ति का एलान किया था।
समाज कल्याण विभाग ने उस समय भी उपराज्यपाल की अनुमति के बिना उनके नाम पर मालीवाल की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी कर दी थी। इस मामले में उपराज्यपाल नजीब जंग के कड़े तेवर के बाद सरकार को नए सिरे से प्रस्ताव राजनिवास भेजना पड़ा था। इसके बाद मालीवाल की नियुक्ति का रास्ता साफ हुआ था।
शुरू से ही छिड़ी है नजीब-अरविंद जंग
दिल्ली के उपराज्यपाल महोदय नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच अधिकारों की लड़ाई उसी दिन से शुरू हो गई थी, जिस दिन नई सरकार का गठन हुआ था। यह जंग आज भी जारी है।
केजरीवाल सरकार का मानना है कि कानून व्यवस्था, जमीन और सार्वजनिक मामलों से संबंधित आदेश को छोड़कर अन्य मामलों में सरकार को उपराज्यपाल की अनुमति की जरूरत नहीं है।
उपराज्यपाल बार-बार यह दलील देते रहे हैं कि दिल्ली में सरकार का मतलब उपराज्यपाल है। लिहाजा बगैर उनकी अनुमति के कोई भी निर्णय नहीं लिया जा सकता है।