BJP ने एक तीर से साधा दो निशाना, कपिल मिश्रा को लगाया मरहम, AAP पर दागे सवाल
कपिल मिश्रा से कानून मंत्रालय लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिए जाने के मुद्दे को भाजपा धार देने में जुट गई है। उसकी नजर में कपिल मिश्रा को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की सजा दी गई है। इसलिए भाजपा उनके समर्थन में खड़ी हो गई है।
नई दिल्ली । कपिल मिश्रा से कानून मंत्रालय लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को दिए जाने के मुद्दे को भाजपा धार देने में जुट गई है। उसकी नजर में कपिल मिश्रा को भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने की सजा दी गई है। इसलिए भाजपा उनके समर्थन में खड़ी हो गई है।
भाजपा ने दिल्ली जल बोर्ड घोटाले पर श्वेत पत्र लाने, पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने तथा कपिल मिश्रा द्वारा दिल्ली सरकार को लिखे गए पत्र को सार्वजनिक करने की मांग की है। यदि उसकी मांग नहीं मानी गई तो भाजपा नेता व कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की भी मांग की जाएगी।
भाजपा इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी रणनीति तैयार कर रही है। भाजपा नेताओं का मानना है कि भ्रष्टाचार को लेकर दिल्ली सरकार पर हमला बोलने का यह सही मौका है। इसलिए इसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। इससे जहां एक ओर लोगों के बीच आम आदमी पार्टी की सरकार की छवि खराब होगी।
वहीं, पार्टी से नाराज चल रहे नेता व विधायक भी एकजुट होंगे। इसलिए कपिल मिश्रा और उनके परिवार का गुणगान कर यह साबित करने की कोशिश शुरू हो गई है कि उनके साथ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अन्याय किया है। ऐसा सिर्फ कांग्रेस के उन नेताओं को बचाने के लिए किया गया है, जिन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर केजरीवाल ने दिल्ली के लोगों से वोट मांगे थे।
'आम आदमी पार्टी के नेता कपिल मिश्रा को नए और अनुभवहीन बता रहे हैं, जबकि वास्तविकता यह है कि ईमानदारी और नैतिकता के इन नए समर्थकों से अलग वह ऐसे परिवार के हैैं जो भ्रष्टाचार से लड़ता रहा है। दिल्ली के वे पुराने निवासी हैं और स्वयं पानी का संकट देखा है।
उनके पास दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की चाहत रही है। उन्हें ज्यों ही यह जिम्मेदारी मिली और बोर्ड में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का मौका मिला तो वाटर टैैंकर घोटाले की जांच पूरी की और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने की सिफारिश की। इसलिए उन्हें कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया। दरअसल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए कभी गंभीरता से काम नहीं किया।
सतीश उपाध्याय, दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष