जमीन की लड़ाई, नजीब-केजरी ने ताकत दिखाई
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : सूबे में हुकूमत पर हक को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद के
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : सूबे में हुकूमत पर हक को लेकर उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी टकराव बेहद गंभीर शक्ल अख्तियार करता जा रहा है। कृषि योग्य भूमि के नए सर्किल रेट तय करने को लेकर शुरू हुआ विवाद गहरा गया है।
दिल्ली मंत्रिमंडल ने उपराज्यपाल जंग के फैसले को मानने से साफ इन्कार कर दिया है। बता दें कि जंग ने सर्किल रेट को लेकर सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। सरकार की दलील है कि उपराज्यपाल को ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। दूसरी ओर जंग ने साफ कहा है कि अधिसूचना पर लगाई गई रोक जारी रहेगी। उपराज्यपाल ने सरकार से कहा है कि वह पुरानी अधिसूचना की कमियों को दूर करते हुए एक नई अधिसूचना तैयार कर उनके समक्ष प्रस्तुत करे। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, यथास्थिति बरकरार रखी जाए। सियासत की इस लड़ाई में सबसे बड़ी मुसीबत उन अधिकारियों के लिए पैदा हो गई है जिन्हें जमीन की रजिस्ट्री करानी है।
सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई दिल्ली मंत्रिमंडल की बैठक में उपराज्यपाल के आदेश को नहीं मानने का निर्णय लिया गया। सरकार ने सभी सब रजिस्ट्रार को अधिसूचना के अनुसार काम शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही यह ताकीद भी कर दी है कि आदेश का पालन नहीं करने की सूरत में सरकारी खजाने को होने वाले नुकसान के लिए वे ही जिम्मेदार होंगे। मंत्रिमंडल ने जंग से यह जानना चाहा है कि आखिर किस संवैधानिक व्यवस्था के तहत उन्हें यह अधिकार हासिल है कि वह सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगा दें। यह भी कहा गया है कि सरकार की जानकारी के मुताबिक किसी भी कानून के तहत उपराज्यपाल को दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। वर्ष 2011 में लिए गए केंद्र सरकार के एक निर्णय का हवाला देते हुए केजरीवाल सरकार का कहना है कि इस मामले में उपराज्यपाल दिल्ली मंत्रिमंडल के फैसले को मानने के लिए बाध्य हैं।
केजरीवाल सरकार ने उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि भविष्य में वह इस प्रकार के गैरकानूनी आदेश नहीं जारी करें जिससे संवैधानिक संस्थाओं का अपमान हो। दिल्ली मंत्रिमंडल के फैसले के बाद राजनिवास द्वारा जारी सूचना में कहा गया है कि कृषि योग्य भूमि के नए सर्किल रेट से संबंधित फाइल वापस दिल्ली सरकार को भेज दी गई है। इस बारे में सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में पहली नजर में विसंगतियां हैं क्योंकि दिल्ली में जमीन का मामला केंद्र सरकार से संबंधित है। राजनिवास ने यह भी स्पष्ट किया है कि जमीन की दरें लैंड पूलिंग नीति के तहत आती हैं। यह नीति अब तक अमल में नहीं आई है क्योंकि जो गांव इस नीति के तहत शहरी क्षेत्र में आते हैं वे अभी तक दिल्ली सरकार द्वारा शहरी नहीं घोषित किए गए हैं। इतना ही नहीं, सरकार की अधिसूचना में नदी के किनारे की जमीन की न्यूनतम दरों का निर्धारण भी नहीं किया गया है, जो पहले से होता आया है।