भगवान शिव देते हैं अमृत रूपी भक्ति अपनाने का ज्ञान
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : भगवान शंकर को भांग एवं धतूरा बेलपत्र आदि अíपत करने का विशेष महत्
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली : भगवान शंकर को भांग एवं धतूरा बेलपत्र आदि अíपत करने का विशेष महत्व माना जाता हैं। पौराणिक मान्यता है कि भगवान भोले शंकर इन पदार्थो का सेवन करते हैं। परंतु कुछ लोग इन पदार्थो का गलत अर्थ निकालकर इनका सेवन करते हैं। व्यसनों के गुलाम बन जाते हैं। अपनी कमियों को छुपाने के लिए लोग इसे भगवान भोले नाथ के प्रसाद का नाम देते हैं। जबकि इससे जो ज्ञान मिलता है, उसके माध्यम से भोले नाथ हमें यह शिक्षा देते हैं कि जिस प्रकार देवी देवताओं का सहयोग करते हुए मैंने विष स्वयं ग्रहण किया। वहीं अमृत देवताओं के लिए छोड़ दिया। इसी प्रकार इन व्यसनों को मुझे सर्मिपत कर दो। यानी संसार की बुराईयां मुझे दे दो। अच्छाईयां अपने पास रखो।
मगर हम लोग तो इन सब बुराईयों को ग्रहण करके खुद ही प्रभु का नाम बदनाम कर रहे हैं। जबकि हमें अपने विष रूपी अवगुण सर्मिपत कर भगवान शंकर की भक्ति कर अमृत रूपी गुण ग्रहण कर लेने चाहिए। वहीं अगर बात शिव रात्रि पर्व की हो तो यह Þतेरा तुझको अर्पणÞ वाले सूत्र को परिभाषित करता है। शिव ¨लग पर गंगाजल एवं बेल पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व है। गंगाजल शिव जटाओं से ही प्राप्त हुआ और शिव को ही सर्मिपत किया जाता है। दूसरी तरफ बेल पत्र भी शिव रूप ही माना जाता है, यानी प्रभु का ही प्रभु को अर्पण और शिव प्रसन्न हो जाते हैं। शिव रात्रि पर बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी को शिव¨लग पर दूध, जल, भांग, धतूरा, बेल पत्र, दही, शहद एवं घी आदि से अभिषेक करना चाहिए। इससे साधक के लिए धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पदार्थ सुलभ हो जाते हैं। इसके साथ ही ॐ नम: शिवाय का जाप एवं सुमिरण करें। जितना दूध शिव¨लग पर चढ़ाएं, उतना ही किसी बच्चे, जरूरतमंद, साधू एवं ब्राह्मण को भी भेंट करें।
- स्वामी राजेश्वरानंद राजगुरु महाराज, श्री राजमाता झंडे वाला मंदिर, वेस्ट गोरख पार्क, शाहदरा।