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शहजादी की शान में गुस्ताखी

संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली लाल किले की गहमागहमी से दूर रहने के लिए शहजादी रोशनआरा ने सब्जीमंडी क

By Edited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 01:32 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 01:32 AM (IST)
शहजादी की शान में गुस्ताखी

संजीव कुमार मिश्र, नई दिल्ली

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लाल किले की गहमागहमी से दूर रहने के लिए शहजादी रोशनआरा ने सब्जीमंडी के पास रोशनआरा बाग बनवाया। वह यहां दासियों के साथ समय गुजारती थीं। क्या मजाल कि कोई फूल मुरझाया मिले। करीब 55 एकड़ में बने इस बाग के हर चप्पे पर उनकी नजर होती थी। फिलहाल यहां के हालात शहजादी की शान में गुस्ताखी से कम नहीं हैं। बाग के प्रवेश द्वार पर सीवर का गंदा पानी जमा रहता है तो मकबरे पर आवारा पशु सोते हैं।

मुगल बादशाह शाहजहां की छोटी बेटी शहजादी रोशनआरा के नाम पर ही इस पूरे इलाके को रोशनआरा बाग कहा जाता है। बुजुर्गो की मानें तो रोशनआरा रोड के बीचोबीच नहर बहती थी जो बाग तक जाती थी। आजादी से पहले यहां ज्यादातर फौजी रहते थे। सड़क किनारे घोड़े बांधे जाते थे। बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए पंजाबी लोग यहां बसे।

शहजादी की कब्र पर नहीं छत

रोशनआरा मुगल बादशाह शाहजहां और मुमताज की बेटी थीं। उन्हें लाल किले की गहमागहमी पसंद नहीं थी, इसलिए वर्ष 1650 के आसपास शाहजहांनाबाद की चारदीवारी से तीन किलोमीटर दूर अपने लिए खूबसूरत बाग बनवाया। इसकी जमीन उन्हें बादशाह पिता से तोहफे में मिली थी। उन्होंने यहां बगीचा, बरादरी व अन्य इमारतों के साथ अपने लिए मकबरा भी बनवाया। सितंबर 1671 में 54 साल की उम्र में रोशनआरा ने दम तोड़ा। मुगलिया रीति-रिवाज के साथ जनाजा निकला और बाग में बरादरी के बीचोबीच रोशनआरा बेगम को दफन किया गया। कब्र के ऊपर छत नहीं है और कब्र की जमीन कच्ची है।

समस्याओं पर ध्यान नहीं

रोशनआरा बाग में समस्याओं का अंबार है। बाग के अंदर खेल के मैदान में हरियाली नहीं है। जगह-जगह मिट्टी के ढेर लगे हैं। सीवर का पानी जमा रहता है। मकबरे तक पहुंचने वाले मार्ग में एक जगह गड्ढा भी हो गया है। स्थानीय लोग भी इस बाग की उपेक्षा से निराश हैं।

देश का पहली क्रिकेट पिच यहीं

बाग में काफी संख्या में विदेशी पौधे हैं। यातायात पुलिस का ट्रैफिक ट्रेनिंग पार्क इसी बाग में है। करीब 22 एकड़ में बना रोशनआरा क्लब अंग्रेजों के समय 1922 से ही है। क्रिकेट के इतिहास में इस क्लब की योगदान रहा है। यहीं द बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (बीसीसीआइ) की स्थापना हुई थी। देश की पहली क्रिकेट पिच क्लब के ग्राउंड में बनी थी। 1927 से यहां क्रिकेट खेला जा रहा है।


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