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दैनिक जागरण, दिल्‍ली : दैनिक जागरण को समर्पित की 32 साल की काव्य यात्रा

घड़ी की सूइयां कब की 12 को पार कर चुकी थी। समय मानो ठहर गया था, लेकिन शनिवार-रविवार की रात रेवाड़ी के केएलपी कालेज स्थित आडिटोरियम में बैठे सैकड़ों श्रोताओं के हाथ नहीं ठहर रहे थे। तालियों की ऐसी गूंज शायद ही कभी देखी हो। हर किसी के मुंह से

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2015 11:40 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2015 12:06 PM (IST)

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य] । घड़ी की सूइयां कब की 12 को पार कर चुकी थी। समय मानो ठहर गया था, लेकिन शनिवार-रविवार की रात रेवाड़ी के केएलपी कालेज स्थित आडिटोरियम में बैठे सैकड़ों श्रोताओं के हाथ नहीं ठहर रहे थे। तालियों की ऐसी गूंज शायद ही कभी देखी हो। हर किसी के मुंह से निकल रहा था-वाह, वन मोर...।

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अवसर था दैनिक जागरण के दिल्ली-एनसीआर संस्करण की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कवि सम्मेलन का। हास्य, श्रंगार व वीर रस की त्रिवेणी से सरोबार इस कार्यक्रम में उत्साह, उमंग व उपस्थित देखकर देश के जाने-माने कवि डा. हरिऔम पंवार ने 'ङ्क्षसहासन से संर्घष नहीं रुकने दूंगा.. की प्रस्तुति देते हुए अपने 32 वर्ष के कवि सम्मेलन दैनिक जागरण को समर्पित कर दिए।

एक ही सांस में बिना रुके रेवाड़ी की वीर भूमि को तीर्थ की उपमा दे दी। बेटी बचाओ अभियान को समर्पित यह कार्यक्रम अर्बन लैंड मैनेजमैट (अमनगनी) के सौजन्य से आयोजित किया गया था। कभी गंभीरता तो कभी हंसी के फव्वारे।

समय कब बीत गया पता ही नहीं चला। कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने पहुंचे सहकारिता व ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बिक्रम ङ्क्षसह यादव सहित जिले के तीनों विधायक रणधीर ङ्क्षसह कापड़ीवास व डा. बनवारीलाल, पूर्वमंत्री शकुंतला भगवाडिय़ा व डा. एमएल रंगा, पुलिस अधीक्षक मनबीर ङ्क्षसह सहित कई प्रमुख लोग समापन तक पूरी तल्लीनता के साथ जमे रहे।

कार्यक्रम की विशेष बात यह थी कि यहां दलगत दीवारें नहीं थी। यहां सत्तारूढ़ दल के नेता भी थे तो उन पर शब्दबाण चलाने वाले कांग्रेस के कैप्टन अजय ङ्क्षसह यादव व चौ. जसवंत ङ्क्षसह जैसे नेता भी। इनेलो के पदाधिकारी भी थे तो दूसरे संगठनों के प्रतिनिधि भी।

इन पर खूब बजी तालियां:

- कविता का सिंहासन से संर्घष नहीं रुकने दूंगा।

- पेट हिलाने वाले ने सरकार हिलाकर दिखा दिया।

- दुनिया को एहसास करा दो 56 इंची सीने का

- झोपडिय़ों के दुख्रड़ों को जो दरबार नहीं सुनता, उसका भाषण लालकिला भी बारंबार नहीं सुनता।

- ये पाकिस्तानी गालों पर दिल्ली के चांटे होते, यदि हमने दो के बदले 20 शीश काटे होते।

- पुराने सूट नेताओं के बिकते हैं करोड़ों में, पड़ी मिलती क्यों कचरे में सनी खून से वर्दी ।

- पड़ोसी की पिटारी में फकत ही सांप पलते हैं।


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