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नर्सरी एडमिशनः पैरेंट्स का इंटरव्यू लेने पर स्कूल प्रबंधक को होगी 10 साल जेल

दिल्ली सरकार ने मनमानी करने वाले स्कूलों की नाक में नकेल डालने की तैयारी कर ली है। नर्सरी दाखिले में बच्चों अथवा उसके अभिभावकों का इंटरव्यू लेने वाले स्कूल प्रबंधकों को कम से कम पांच साल और अधिकतम 10 साल तक की जेल की सजा होगी।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2015 07:51 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2015 08:05 AM (IST)
नर्सरी एडमिशनः पैरेंट्स का इंटरव्यू लेने पर स्कूल प्रबंधक को होगी 10 साल जेल

अजय पांडेय, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने मनमानी करने वाले स्कूलों की नाक में नकेल डालने की तैयारी कर ली है। नर्सरी दाखिले में बच्चों अथवा उसके अभिभावकों का इंटरव्यू लेने वाले स्कूल प्रबंधकों को कम से कम पांच साल और अधिकतम 10 साल तक की जेल की सजा होगी।

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मनमानी फीस वसूलने वाले स्कूल संचालकों को अधिकतम सात साल तक की कैद होगी। दिल्ली सरकार हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का भी गठन करेगी, जो निजी स्कूलों की फीस का निर्धारण करेगी और कायदे भी तय करेगी।

दिल्ली सरकार द्वारा तैयार किए गए 'द दिल्ली स्कूल एजुकेशन (एमेंडमेंट) बिल 2015' के मसौदे में निजी स्कूलों पर लगाम लगाने संबंधी बेहद कड़े प्रावधान किए गए हैं। विधानसभा के आगामी सत्र में सरकार इस विधेयक को सदन में पेश कर सकती है।

इसमें प्रावधान किया गया है कि किसी भी स्कूल को प्री-प्राइमरी और प्री-स्कूल में एडमिशन के लिए आने वाले छह वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा उनके अभिभावकों का इंटरव्यू लेने की इजाजत नहीं होगी। ऐसा करने वालों को कम से कम पांच साल और अधिकतम 10 साल तक की सजा होगी।

विधेयक के मसौदे में यह भी लिखा है कि किसी खास मामले में यदि अदालत उचित समझे तो यह सजा पांच साल से कम भी हो सकती है। दिल्ली सरकार एक अन्य विधेयक के मसौदे को भी अंतिम रूप देने में जुटी हुई है, जिसमें निजी व बगैर वित्तीय मदद के चलाए जा रहे स्कूलों में फीस के ढांचे को तय किया जाएगा।

गैर वित्तीय सहायता प्राप्त निजी प्ले स्कूल, प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, मिडल, सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी सहित अन्य मान्यताप्राप्त सेकेंडरी शैक्षणिक संस्थानों की फीस सरकार द्वारा गठित समिति तय करेगी। हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनने वाली इस समिति में शिक्षा निदेशक तथा एक चार्टर्ड एकाउंटेंट को सदस्य बनाया जाएगा।

समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होगा। समिति द्वारा निर्धारित फीस अंतिम होगी और निजी स्कूलों को इसे हर हाल में लागू करना होगा। समिति द्वारा तय फीस तीन शैक्षणिक सत्रों के लिए होगी। इसके बाद निजी स्कूल फीस में बदलाव के लिए आवेदन कर सकेंगे।

फीस और अन्य नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूल संचालकों को कम से कम तीन साल और अधिकतम सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है। उन पर पांच हजार रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सनद रहे कि दिल्ली में डेढ़ हजार से अधिक निजी स्कूल चलाए जा रहे हैं।

एक महीने के अंदर लौटानी होगी फीस
विधेयक के मसौदे में यह भी कहा गया है कि यदि किसी स्कूल को समिति द्वारा तय फीस को लेकर ऐतराज हो तो वह समिति के फैसले की जानकारी मिलने के 15 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज करा सकता है।

विधेयक में यह भी प्रावधान किया जा रहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को छात्रों द्वारा ली गई राशि नौ फीसद ब्याज के साथ एक महीने के भीतर लौटानी होगी।


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