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भीड़ और गंदगी से दिल को खतरा

रणविजय सिंह, नई दिल्ली बाजार हो या अस्पताल, भारतीय रेल हो या दिल्ली को शानदार सफर की सुविधा देने व

By Edited By: Published: Fri, 03 Jul 2015 01:07 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2015 01:07 AM (IST)
भीड़ और गंदगी से दिल को खतरा

रणविजय सिंह, नई दिल्ली

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बाजार हो या अस्पताल, भारतीय रेल हो या दिल्ली को शानदार सफर की सुविधा देने वाली दिल्ली मेट्रो, राजधानी में भीड़ से पीछा कहीं नहीं छूटता। यहां भीड़ जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है। हाल ही में गंदगी को लेकर भी दिल्ली सुर्खियों में रही। मलिन बस्तियां भी दिल्ली सहित देश के तमाम महानगरों में मिल जाएंगी। यह भीड़ और गंदगी सेहत पर भारी पड़ सकती है। इसके चलते रह्यमेटिक हार्ट डिजीज (आरएचडी) हो सकती है। यह बीमारी हार्ट फेल्योर का कारण बन रही है।

एम्स में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि 10.8 फीसद मरीजों में हार्ट फेल्योर का कारण रह्यमेटिक हार्ट डिजीज था। डॉक्टर इसे चिंता का बड़ा कारण मान रहे हैं। डॉक्टरों का दावा है कि भीड़ और साफ-सफाई की कमी के कारण संक्रमण से यह बीमारी होती है। लेकिन इस बीमारी से बचा जा सकता है। पश्चिमी देश इस बीमारी का उन्मूलन कर चुके हैं। क्योंकि वहा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। विकासशील देशों में ही यह बीमारी देखी जा रही है। एम्स में हार्ट फेल्योर के 90 मरीजों पर हुए अध्ययन में यह पाया गया है कि 10.8 फीसद मरीजों में हार्ट फेल्योर का कारण आरएचडी है। यहां यह हार्ट फेल्योर का तीसरा सबसे बड़ा कारण है। डॉक्टरों के अनुसार इस बीमारी की शुरुआत गले के संक्रमण से होती है। इसका असर ज्यादातर बच्चों में होता है। मलिन बस्तियों में रहने वालों में यह बीमारी अधिक होती है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने पर आसपास के किसी व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है। एम्स के कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. संदीप सेठ ने बताया कि पहले गले में संक्रमण होता है। यदि यह ठीक नहीं हुआ तो फिर जोड़ों में दर्द होता है। इसके बाद हृदय में संक्रमण हो जाता है। इक्को आदि जांच के जरिए इसके संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। लेकिन अक्सर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके चलते लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। डॉ. सेठ ने कहा कि हृदय में इसके संक्रमण और वाल्व में रिसाव का पता चलने पर मरीज को एक इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है। यह इंजेक्शन एक रुपये का है। बच्चों को इसे तीन हफ्ते के अंतराल में 40 साल की उम्र तक लेना जरूरी होता है।


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