अस्थाई कर्मी को निलंबित किया गया कहना गलत
अमित कसाना, नई दिल्ली अस्थाई कर्मचारी को निश्चित समयावधि के लिए काम पर रखा जाता है। यदि अनुबंध (का
अमित कसाना, नई दिल्ली
अस्थाई कर्मचारी को निश्चित समयावधि के लिए काम पर रखा जाता है। यदि अनुबंध (कांटै्रक्ट) बढ़ाया (रिन्यू) नहीं जाता है तो उसकी सेवाएं स्वत: खत्म हो जाती हैं। ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उसने हरियाणा रोडवेज में अस्थाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत टिकट वैरीफायर (सत्यापनकर्ता) राकेश कुमार की सेवाएं फिर से बहाल करने के आदेश दिए थे।
न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि राकेश को 7 जुलाई 1984 से 30 जून 1985 तक के लिए काम पर रखा गया था। उसकी नियुक्ति अस्थाई थी। ऐसे में यह कहना गलत है कि उसे निलंबित किया गया है। कर्मचारी ने अपनी दलीलों में खुद माना है कि उसके खिलाफ विभागीय जांच नहीं हुई है और न ही उसे मुआवजा दिया गया। इस मामले में यह भी नहीं कह सकते हैं कि कर्मचारी की छंटनी की गई है। खंडपीठ ने कहा कि काम की समयावधि खत्म होने के बाद नौकरी पर दावा करना गैरकानूनी है। ऐसे में निचली अदालत का फैसला पूरी तरह अवैध है। निचली अदालत को मामले में नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया जाता है।
यह था मामला
राकेश कुमार को हरियाणा रोडवेज में 7 जुलाई 1984 को टिकट वैरीफायर पद पर अस्थाई कर्मचारी के रूप में रखा गया था। राकेश का आरोप था कि 30 जून को उन्हें बिना कुछ बताए निलंबित कर दिया गया। हटाने से पहले उन्हें हरियाणा रोडवेज ने न तो नोटिस दिया और न ही कोई कारण बताया। हटाते समय मुआवजा या किसी तरह की अग्रिम राशि भी नहीं दी गई। मामले में 7 फरवरी 2002 को निचली अदालत ने राकेश के पक्ष में फैसला सुनाते हुए हरियाणा हाई कोर्ट को फिर से बहाल करने व पुराने भत्ते व अन्य बकाया राशि देने का आदेश दिया था। इस फैसले को हरियाणा रोडवेज ने दिल्ली हाई कोर्ट मे चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया।