देश सेवा करना चाहता है भुल्लर
सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली : दिल्ली में वर्ष 1993 में हुए बम ब्लास्ट का आरोपी दे¨वदरपाल ¨सह भुल
सुधीर कुमार, पूर्वी दिल्ली :
दिल्ली में वर्ष 1993 में हुए बम ब्लास्ट का आरोपी दे¨वदरपाल ¨सह भुल्लर अब देश सेवा करना चाहता है। इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहता है। यह ख्वाइश उसने सोमवार को जागरण से बातचीत में व्यक्त की। सोमवार को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव (स्वास्थ्य) अनिल वाजपेयी मानव व्यवहार एवं संबंद्ध विज्ञान संस्थान (इहबास) के दौरे के समय पत्रकारों के साथ भुल्लर से मिलने गए थे।
भुल्लर का पिछले ढाई साल से इहबास में इलाज चल रहा है। वह डिप्रेशन और साइकोटॉकिक (कान में चीखने चिल्लाने की आवाज सुनने की बीमारी) से पीड़ित है। इहबास के निदेशक डॉ. निमेष जी देसाई के अनुसार अब उसकी बीमारी में 50 से 60 प्रतिशत का सुधार हुआ है। उसे इहबास में कई स्तरीय सुरक्षा घेरे में रखा गया है। बिना निदेशक के आदेश उससे कोई नहीं मिल सकता है। उसकी सुरक्षा में जहां एक पीसीआर की वैन 24 घंटे तैनात रहती है, वहीं दिल्ली पुलिस की सुरक्षा ¨वग और स्थानीय पुलिस कर्मी भी मौजूद रहते हैं। सोमवार को बातचीत में भुल्लर ने बताया कि उसकी बीमारी पहले की तुलना में काफी ठीक हुई है। कान में आवाज सुनाई देने की बीमारी भी कम हुई है। अब इस तरह की आवाजें 24 घंटे में दो से तीन बार सुनाई पड़ती है। जबकि पहले लगातार ऐसी आवाजें सुनाई पड़ती थीं। भुल्लर ने बताया कि उसके पिता की 84 दंगों के दौरान शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर हत्या कर दी गई थी। उसके कानों में पिता के चीखने चिल्लाने और बचाने की आवाज सुनाई पड़ती है। उससे पूछा गया है कि अब वह क्या करना चाहता है तो उसका जवाब था कि अब वह देश की सेवा करना चाहता है। इसके लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहता था। प्रधानमंत्री से मिलने के बाद वह तय करेगा कि देश की सेवा किस तरह करनी है। भुल्लर का कहना है कि उसे बम ब्लास्ट के मामले में गलत फंसाया गया है। वह इस मामले में दोषी नहीं है। डॉ. देसाई कहते हैं कि फांसी की सजा के आजीवन कारावास में तब्दील किए जाने के आदेश के बाद उसकी बीमारी में तेजी से सुधार हुआ है।
गौरतलब है कि 50 वर्षीय भुल्लर करीब 20 सालों से जेल में बंद है। दिल्ली के रायसीना रोड पर भारतीय यूथ कांग्रेस के कार्यालय के बाहर वर्ष 1993 में कार में आरडीएक्स डालकर रिमोट से बम ब्लास्ट किया गया था जिसमें कई लोग मारे गए थे और कांग्रेस नेता एमएस बिट्टा गंभीर रूप से घायल हो गए थे। यह ब्लास्ट बिट्टा को मारने की नियत से किया गया था, लेकिन वे बाल-बाल बच गए थे। बिट्टा के खालिस्तान विरोधी होने की वजह से उन पर यह हमला किया गया था। जांच के दौरान भुल्लर को इस साजिश के लिए जिम्मेदार माना गया। भुल्लर उस समय एक इंजीनिय¨रग कॉलेज में प्रोफेसर था। पुलिस जांच में नाम आने के बाद भुल्लर जर्मनी भाग गया और वहां राजनीतकि संरक्षण की मांग की, लेकिन जर्मनी ने इससे इंकार कर दिया। जर्मनी ने उसे भारत भेज दिया और वर्ष 1995 में उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसे वर्ष 2001 में फांसी की सजा सुनाई गई। इसका काफी विरोध हुआ। अंत में 31 मार्च 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
अमृतसर स्थानांतरित किया जा सकता है भुल्लर को
भुल्लर के अधिवक्ता केटीएस तुलसी और परिजनों की मांग पर भुल्लर को अमृतसर स्थानांतरित किया जा सकता है। इसे लेकर हाल ही में गृह मंत्रालय व सुरक्षा एजेंसियों की एक टीम ने इहबास का दौरा कर भुल्लर की मानसिक स्थिति के बारे में जानकारी ली है। भुल्लर की पत्नी नवनीत कौर कनाडा में रहती है और कुछ समय के अंतराल पर उससे मिलने इहबास आती रहती हैं। इसके अलावा उसकी बुजुर्ग मां भी पंजाब से उससे मिलने आती हैं। इहबास के निदेशक डॉ. देसाई कहते हैं कि अब भुल्लर की बीमारी में काफी सुधार हुआ है। अब उसकी स्थिति ऐसी है कि उसे तिहाड़ या किसी अन्य जेल में भी रखा जा सकता है। क्योंकि जेल में भी मनोचिकित्सक होते हैं जहां उसका इलाज जारी रह सकता है।