मृत्यु के समय व्यक्ति झूठ नहीं बोलता : कोर्ट
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली : अदालत ने हत्या के मामले में दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। रोहि
जागरण संवाददाता, बाहरी दिल्ली :
अदालत ने हत्या के मामले में दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। रोहिणी कोर्ट स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन की अदालत ने विशाल को दोषी करार देते हुए कहा कि मृत्यु कालिक कथन की स्वीकार्यता इस सिद्वांत पर टिकी है कि मौत के करीब पहुंचे व्यक्ति के मन में ईमानदारी और शपथ लेते समय जैसी पवित्र भावना पैदा होती है। मौत के निकट पहुंचे व्यक्ति झूठ बोलकर ईश्वर के पास नहीं पहुंच पाते। जब एक व्यक्ति वास्तव में मौत के करीब पहुंच जाता है और तब उसकी विश्व की सारी आशाएं चली जाती हैं। जब झूठ के लिए हर मकसद खामोश हो और मन सबसे शक्तिशाली सच को बोलने के लिए प्रेरित करे तो ऐसी गंभीर और इतनी भयंकर स्थिति को कानून की नजर में ऐसे बयान अदालत में शपथ लेने के समान हैं। अदालत ने कहा कि एक भी ऐसा तर्क सामने नहीं आया, जिससे इस मृत्यकालिक कथन पर विश्वास न किया जा सके। ऐसा कुछ भी तथ्य नहीं पाया गया कि जिससे कहा जा सके कि यह बयान झूठी कहानी है। अदालत ने कहा कि उम्मीद है कि दोषी अपने आप को सुधार सकता है। लिहाजा, इस मामले को दुलर्भतम श्रेणी में नही रखा जा सकता है। अदालत ने दोषी पर 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। पेश मामले के अनुसार 26 मार्च 2013 को मदनलाल व उसकी पत्नी घर में रिश्तेदारों के साथ होली खेल रहे थे। तभी मदन लाल ने कहा कि विशाल ड्रग एडिक्ट है और उसकी पत्नी पर बुरी नजर रखता है। इसी बात पर विशाल गुस्से में आ गया और कुछ देर बाद उसने मदनलाल के पर चाकू से हमला कर दिया। अस्पताल में मदन लाल की मौत हो गई। हालांकि मरने से पहले मदन लाल ने उसके खिलाफ बयान दे दिया था।