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अरविंद व मनीष हैं प्रकरण के मास्टरमाइंड

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक प्रो. आनंद कुमार से राष्ट्रीय परिषद क

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 12:44 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 12:44 AM (IST)

दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक प्रो. आनंद कुमार से राष्ट्रीय परिषद की बैठक में हुए हंगामे, पार्टी में अंतर्कलह, पार्टी में लोकतंत्र की कमी सहित कई मुद्दों पर जागरण संवाददाता अभिनव उपाध्याय व अमित कसाना ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश..

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-क्या आप खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं?

-हां, हमें खुद समझ में नहीं आया कि हम इतने नासमझ व भावुक क्यों हो गए। हम उनकी एक आवाज पर सब कुछ छोड़कर उनके साथ हो गए। दरअसल हम हारे हुए लोग हैं। जयप्रकाश आंदोलन की पराजय के बाद हम अच्छा दिखने वाले के साथ खड़े हो जाते हैं। पिछले ढाई साल से लोग मुझसे पूछते रहे और मैं लोगों से कहता रहा कि यह जोखिम उठाने व भरोसा करने का वक्त है। क्योंकि इसके अलावा हमारे पास विकल्प नहीं था। हम इन्हें बर्दाश्त करते रहे। जोखिम उठाने पर भी हमें नकली चीज मिली है। इसलिए हम खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

-अब आप का अगला कदम क्या होगा ?

-राष्ट्रीय परिषद के जिन सदस्यों ने हमारे साथ बैठक से वाकआउट किया उसमें अन्य राज्यों से आए नेता भी थे। जिनको बुला तो लिया गया था लेकिन रात में लिस्ट से नाम काट दिया गया। ऐसे लगभग पांच लोग थे। उन लोगों ने कहा कि हम देशभर के लोगों को बुलाकर सम्मेलन करेंगे। किसानों, नौजवानों, भूमिहीनों के मुद्दों के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे।

-लेकिन कब तक सुधरने व सुधारने की बात कहेंगे?

-अब सुधरने व सुधारने की गुंजाइश ज्यादा नहीं है। बैठक में उन लोगों ने लोकपाल तक को स्थान नहीं दिया। हम यह नहीं चाहते कि पार्टी को तोड़ने का आरोप हमारे ऊपर लगे। हम पार्टी के संयोजक द्वारा गाली देने पर इस्तीफा दे देते तो भी ज्यादा हो जाता। भाजपा व कांग्रेस को पटककर कार्यकर्ताओं के दम पर पार्टी सत्ता में आई लेकिन कुछ नेता इसका श्रेय लेना चाहते हैं।

-इस प्रकरण के मास्टरमाइंड कौन हैं?

-अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया। ढाई साल में मैंने जितना जाना है पार्टी में बाकी लोग हाशिए पर हैं। उन्हें जितना कहा जाता है वह करते हैं। मूलत: अरविंद व मनीष की यह सोची-समझी नीति है। उन्हें लगा कि जो सफाई करनी है अभी कर लें क्योंकि पार्टी अभी-अभी जीत कर आई है। पार्टी का मुख्य कार्यालय इनके अधीन है क्योंकि पार्टी को इन लोगों ने समय दिया है और हम लोगों ने नरमी बरती है। अब वह पांच साल सत्ता में है और बहुत सारे लोगों को उन्होंने सरकारी महकमों में लगा दिया है। पूरी केंद्रीय व्यवस्था पर उनका असाधारण नियंत्रण है।

-बैठक के बारे में आप की राय संजय सिंह की राय से अलग है। किसे सही माना जाए?

- जिसने मारा है उसका सुबूत तो नहीं है लेकिन जिसको चोट लगी है वह सुबूत है। रजमान चौधरी मेवात के बड़े नेता हैं। आरएमएल में उनका मेडिकल हुआ है। जब हंगामा हुआ तो हमारे सांसद भगवंत मान मामला शांत करवाने आए थे। मेरी 45 साल की साधना आज खराब हो रही है। कार्यकारिणी में केजरीवाल के भाषण की वीडियो रिकार्डिग हुई है। भाषण के बीच में नारेबाजी के चलते उन्हें रुकना पड़ा था। हंगामा हुआ तो संजय सिंह व कुमार विश्वास ने भी खड़े होकर लोगों को शांत रहने के लिए कहा था।

-आप पार्टी का क्या भविष्य देखते हैं?

-अभी धुंध छाई है। इसका भविष्य बहुत शानदार भी हो सकता है और यह खत्म भी हो सकती है। कभी-कभी लोग इसकी तुलना असम गण परिषद से करने लगते हैं। जहां नौजवान लोग अंदोलन के बल पर सत्ता में आए और फिर इतनी मनमानी हुई कि आपस में फूट पड़ गई। हमारी पार्टी के नेताओं के पास पांच साल का समय है। हम इन पर दबाव बनाएंगे कि दिल्ली की जनता का भला करें। हमारा जो होगा देखा जाएगा।


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